56 भोग नहीं लगा पाए? जन्माष्टमी पर सिर्फ ये 5 प्रसाद चढ़ाएं, मिल सकती है माखनचोर की विशेष कृपा
Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का पर्व पूरे देश में भक्तिभाव और उल्लास के साथ मनाया जाता है। परंपरा के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित करने की प्रथा है, जिसे ‘छप्पन भोग’ कहा जाता है। लेकिन सभी भक्तों के लिए इतने व्यंजनों की व्यवस्था करना संभव नहीं हो पाता। ऐसे में भी निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार केवल भगवान के पांच प्रिय भोग अर्पित करने से भी उनकी विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है। इन प्रसादों को श्रद्धा और प्रेम से चढ़ाने पर भगवान प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
पंजीरी और पंचामृत का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण को पंजीरी का भोग विशेष प्रिय है। धनिया, चीनी और घी से बनी पंजीरी न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि इसे प्रसाद के रूप में खाने से सेहत को भी लाभ होता है। जन्माष्टमी पर पंजीरी चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा पंचामृत—जो दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से तैयार होता है—सनातन धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। पंचामृत से अभिषेक के बाद इसे भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि पंचामृत का सेवन करने से शरीर और मन दोनों ही शुद्ध हो जाते हैं और भक्त को आशीर्वाद मिलता है।
फल और दूध से बनी मिठाइयों का भोग
जन्माष्टमी पर मौसमी फलों का भोग भगवान कृष्ण को अर्पित करना अत्यंत शुभ होता है। केले, सेब, अनार जैसे फल पवित्र और सात्विक माने जाते हैं। इसके साथ ही दूध से बनी मिठाइयां—जैसे पेड़ा, बर्फी, रबड़ी, जलेबी और पाग—कृष्णजी को बहुत प्रिय हैं। धार्मिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि बाल गोपाल को माखन-मिश्री और दूध से बनी मिठाइयों से विशेष लगाव था। इसलिए जन्माष्टमी के दिन इन मिठाइयों का भोग लगाने से भगवान की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।