सोना-चांदी मिलता है प्रसाद में! रतलाम के इस महालक्ष्मी मंदिर की परंपरा हर किसी को करती है चकित

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भारत की भूमि पर एक से एक चमत्कारी और परंपरागत मंदिर हैं, लेकिन कुछ मंदिर अपने अद्भुत रीति-रिवाजों और भक्तिभाव से भरे वातावरण के चलते विशेष रूप से चर्चित हो जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के माणक क्षेत्र में स्थित है — महालक्ष्मी मंदिर, जहां भक्तों को प्रसाद के रूप में मिलते हैं असली सोने-चांदी के आभूषण और सिक्के! यह कोई किंवदंती नहीं, बल्कि जीवंत परंपरा है जो वर्षों से यहां निभाई जा रही है और जिसने इस मंदिर को देशभर के श्रद्धालुओं के लिए एक खास स्थान बना दिया है।

मां लक्ष्मी के आशीर्वाद का प्रतीक है यह मंदिर

रतलाम का यह प्रसिद्ध मंदिर मां लक्ष्मी को समर्पित है, जिन्हें धन, वैभव और समृद्धि की देवी माना जाता है। यहां सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। लोगों का यह विश्वास है कि इस मंदिर में सच्चे मन से की गई प्रार्थना जरूर फलदायी होती है। लेकिन इस मंदिर की सबसे रोचक विशेषता यह है कि यहां भक्तों को प्रसाद के रूप में असली सोना या चांदी दिया जाता है। यह परंपरा न केवल चौंकाती है, बल्कि भक्तों को यह एहसास कराती है कि देवी लक्ष्मी की कृपा साक्षात उनके जीवन में उतर रही है।

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इतिहास में जड़ें जमाए यह परंपरा

इस मंदिर की परंपराएं कोई आज की नहीं, बल्कि सदियों पुरानी हैं। कहा जाता है कि प्राचीन काल में जब राजा-महाराजा राज्य की समृद्धि के लिए विशेष यज्ञ और पूजा करते थे, तब वे मां लक्ष्मी को चढ़ावे के रूप में बहुमूल्य आभूषण, सोना-चांदी और धन अर्पित करते थे। इसी परंपरा की जड़ें आज भी महालक्ष्मी मंदिर में गहराई से जुड़ी हुई हैं। भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार देवी को आभूषण और धन अर्पित करते हैं और बदले में मंदिर प्रशासन उन्हें प्रसाद स्वरूप सोना-चांदी की प्रतीकात्मक भेंट प्रदान करता है।

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भव्यता में डूबा महालक्ष्मी मंदिर

महालक्ष्मी मंदिर की सजावट जितनी अद्वितीय है, उतनी ही भव्य भी। जहां आम मंदिरों को फूलों और दीपों से सजाया जाता है, वहीं इस मंदिर की दीवारें, गर्भगृह और पूरा प्रांगण सोने-चांदी के आभूषणों और नोटों से सजाया जाता है। विशेषकर दीपावली के पांच दिनों में तो यह मंदिर किसी राजमहल जैसा दिखाई देता है। कुबेर दरबार की भव्य झांकी, जगमगाते दीप, रुपयों की लहराती झालरें, और मां लक्ष्मी की दिव्य मूर्ति – इस सबका सम्मिलन इसे एक दिव्य ऊर्जा से भर देता है।

धनतेरस पर बंटती है ‘कुबेर की पोटली’

महालक्ष्मी मंदिर में दीपावली और धनतेरस के दौरान खास आयोजन होता है। मंदिर इस अवधि में 24 घंटे खुला रहता है और हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं। धनतेरस के दिन विशेष रूप से महिलाओं को ‘कुबेर की पोटली’ दी जाती है, जिसमें सोने-चांदी के टुकड़े या प्रतीकात्मक समृद्धि की वस्तुएं होती हैं। यह पोटली मां लक्ष्मी से सुख-समृद्धि की कृपा पाने का प्रतीक मानी जाती है।

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इस अद्वितीय परंपरा ने दिलाया देशभर में सम्मान

रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि एक ऐसी विरासत है जिसने सदियों पुरानी परंपराओं को आधुनिक युग में जीवित रखा है। यहां से लौटने वाला हर भक्त न केवल श्रद्धा से परिपूर्ण होता है, बल्कि वह देवी की कृपा का अनुभव अपने साथ ले जाता है। यदि आपको लगता है कि मंदिरों का प्रसाद केवल मिठाई या फल होते हैं, तो इस मंदिर की परंपरा आपको अवश्य अचरज में डाल देगी।

समृद्धि और श्रद्धा का संगम

महालक्ष्मी मंदिर, रतलाम – एक ऐसा स्थान है जहां भक्ति, परंपरा और समृद्धि एक साथ मिलकर एक अलौकिक अनुभव रचते हैं। यहां की परंपराएं न केवल धार्मिक हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी लोगों के जीवन में विशेष स्थान रखती हैं। यदि आप मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं, तो एक बार इस मंदिर की यात्रा जरूर करें – यहां की आभा और प्रसाद के रूप में मिलती खुशियों की चमक, आपको जीवन भर याद रहेगी।



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