वाराणसी: कृतिका फाउंडेशन में “ट्राइबल फेयर” और “हल्दी” छाया चित्र प्रदर्शनी का आयोजन
वाराणसी। गुजरात ललित कला अकादमी के सौजन्य से कृतिका फाउंडेशन एंड द आर्ट गैलरी, वाराणसी के खंड अ और खंड ब में दो ख्यातनाम छाया चित्रकारों दीपक दर्जी और धर्मेश पारेख की एकल चित्र प्रदर्शनी “ट्राइबल फेयर” और “हल्दी” का आयोजन हुआ। प्रदर्शनी का उद्घाटन बीएल्डब्ल्यू की महिला कल्याण संगठन की सदस्य प्रियंका प्रवीण, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्यकला संकाय प्रमुख प्रो. उत्तमा दीक्षित, वरिष्ठ फोटोग्राफर सुरेश खैरे, संगीत विशेषज्ञ व प्रख्यात गीतकार चंद्रशेखर गोस्वामी, वरिष्ठ चित्रकार राणा शेरू सिंह और कला-समीक्षक डॉ. शशि कान्त नाग ने दीप प्रज्वलित कर संयुक्त रूप से किया।

प्रियंका प्रवीण ने अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि भारत में धर्म, रिवाज और त्योहार मानव के सांस्कृतिक चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धर्मेश पारेख के छायाचित्रों में गुजरात की संस्कृति में रचे-बसे हल्दी उत्सव की सौंदर्यात्मक प्रस्तुति देखने को मिली, जबकि दीपक दर्जी के जोशीले छायाचित्रों में जनजातीय जीवन की रचनात्मकता, रीतियों और सामाजिक गतिविधियों का समग्र सौंदर्य बोध प्रकट हुआ। प्रो. उत्तमा दीक्षित ने हल्दी उत्सव के अनोखे दृश्यों और दीपक दर्जी की जनजातीय कला में मानवीय संवेदना को उजागर करने की प्रशंसा की।

प्रदर्शनी में दोनों छायाकारों ने लगभग 60 छायाचित्र प्रदर्शित किए, जो ललित कला के विद्यार्थियों के लिए फोटोग्राफी के अनछुए पहलुओं को जानने का अवसर प्रदान करते हैं। डॉ. शशि कान्त नाग ने बताया कि मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम के काशी आगमन के स्वागत में कृतिका फाउंडेशन एंड द आर्ट गैलरी, राणा जी मूवमेंट सभागार, अस्सी, वाराणसी में 9 सितंबर से 17 सितंबर 2025 तक छह एकल प्रदर्शनियों का आयोजन हो रहा है। आज उद्घाटित यह प्रदर्शनी 14 सितंबर तक चलेगी और अपराह्न 12 बजे से सायं 7 बजे तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी।

उद्घाटन अवसर पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक व कलाकार एस. प्रणाम सिंह, काशी के उद्योगपति श्याम कृष्ण अग्रवाल, उत्तर प्रदेश अपराध प्रतिरोध समिति के काशी प्रांत अध्यक्ष राजेश सिंह, संगीत विद्या विशेषज्ञ डॉ. प्रेम नारायण सिंह, छायाचित्रकार अनिरुद्ध पांडेय और उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति के सदस्य विपिन नीलम पांडेय सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। वाराणसी के साहित्यिक विद्वानों ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन किया।



