Bhopal Union Carbide Waste Ash: MP हाईकोर्ट में पेश हुई जहरीले कचरे की राख की रिपोर्ट, दूसरे टेस्ट के लिए दिया गया वक्त

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हाइलाइट्स

  • यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की रिपोर्ट HC में पेश
  • राख के दूसरे टेस्ट के लिए दिया गया वक्त
  • हाईकोर्ट ने दिया 8 अक्टूबर तक का समय

Bhopal Union Carbide Waste Ash Report: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति प्रदीप मित्तल की युगलपीठ के समक्ष यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण से निकली राख की सीलबंद टेस्टिंग समीक्षा रिपोर्ट पेश कर गई। साथ ही बताया गया कि राख के अन्य टेस्ट भी कराए जाने हैं। इसलिए समय मांगा गया। कोर्ट ने आग्रह स्वीकार करते हुए 8 अक्टूबर तक का समय दे दिया है।

पीथमपुर में नष्ट किया गया जहरीला कचरा

2004 में आलोक प्रताप सिंह ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विनष्टीकरण की मांग करते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जनहित याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद हाई कोर्ट मामले की सुनवाई संज्ञान याचिका के रूप में कर रही थी। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पेश रिपोर्ट में बताया गया था कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का विनष्टीकरण सफलतापूर्वक पीथमपुर सुविधा केंद्र में कर दिया गया है।

पीथमपुर प्लांट में नष्ट किया गया यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा

जहरीले कचरे से निकली 850 मीट्रिक टन राख

यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे से 850 मीट्रिक टन राख और अवशेष एकत्रित हुआ है। एमपीपीसीबी से सीटीओ मिलने के बाद अलग लैंडफिल सेल में उसे नष्ट किया जाएगा।

जहरीले कचरे की राख में रेडियो एक्टिव पदार्थ !

हाईकोर्ट में एक अन्य जनहित याचिका दायर की गयी थी। जिसमें कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की राख में रेडियो एक्टिव पदार्थ सक्रिय हैं, जो चिंता का विषय है। राख में मरकरी है, जिसे नष्ट करने की तकनीक सिर्फ जापान और जर्मनी के पास है। हाईकोर्ट ने इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद मुख्य याचिका के साथ सुनवाई के आदेश जारी किए थे।

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राख की दूसरी टेस्ट रिपोर्ट के लिए 8 अक्टूबर तक का वक्त

केस में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान MPPSC की तरफ से राख की पहली टेस्टिंग की समीक्षा रिपोर्ट पेश करते हुए अन्य टेस्टिंग के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया। जिसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को निर्धारित की है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और अधिवक्ता खालिद नूर फखरुद्दीन ने पैरवी की।

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