धमतरी के इस गांव की अनोखी परंपरा: दशहरे पर नहीं होता रावण दहन, गांव की सीमा के भीतर नहीं जलाई जाती है आग, जानें क्यों?
Dhamtari Fire Tradition: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धमतरी (Dhamtari) जिले से कुछ ही दूरी पर स्थित तेलिनसत्ती (Telinsatti) गांव अपनी सदियों पुरानी परंपरा के लिए जाना जाता है। भारत (India) में जहां दशहरे (Dussehra) का पर्व रावण दहन (Ravan Dahan) के बिना अधूरा माना जाता है, वहीं इस गांव में बिना रावण दहन के ही त्योहार मनाया जाता है।
गांववालों का मानना है कि आग (Fire) जलाना उनके लिए अशुभ हो सकता है। यही वजह है कि दशहरे (Dussehra), होली (Holi) या यहां तक कि अंतिम संस्कार (Funeral) जैसे मौकों पर भी गांव की सीमा के भीतर कभी आग नहीं जलाई जाती।
यह भी पढ़ें: राजगढ़ जिले में प्रतिमा विसर्जन के दौरान पलटी क्रेन, बाल-बाल बचे श्रद्धालु, देखें वीडियो
क्यों नहीं होती आग से जुड़ी रस्में गांव के भीतर?

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सदियों पहले तेलिनसत्ती (Telinsatti) गांव में एक महिला ने अपने पति की चिता पर सती (Sati) हो गई थी। उसी घटना के बाद से यह परंपरा चली आ रही है कि गांव की हद के अंदर आग नहीं जलाई जाएगी। लोगों का विश्वास है कि ऐसा करने से गांव पर कोई बड़ी विपत्ति आ सकती है।
इसी वजह से आज तक सभी धार्मिक और सामाजिक अवसरों पर आग से जुड़ी रस्में गांव के बाहर ही निभाई जाती हैं।
आस्था और पहचान का प्रतीक

बदलते वक्त में भी यह परंपरा कायम है। यहां के युवा भी इसे अंधविश्वास नहीं मानते, बल्कि आस्था और गांव की पहचान से जोड़कर देखते हैं। उनका कहना है कि यह परंपरा ही तेलिनसत्ती (Telinsatti) गांव को बाकी गांवों से अलग बनाती है।
दशहरे (Dussehra) पर भले ही यहां रावण दहन (Ravan Dahan) नहीं होता, लेकिन उत्साह, उमंग और त्योहार की रौनक किसी अन्य गांव से कम नहीं होती। गांववाले पूरे हर्षोल्लास के साथ त्योहार मनाते हैं और यही इसे खास बनाता है।
परंपरा का संदेश
तेलिनसत्ती (Telinsatti) गांव का यह अनोखा दस्तूर सिर्फ आस्था की मिसाल ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। यह दिखाता है कि परंपराएं चाहे जितनी पुरानी क्यों न हों, अगर उनमें लोगों की आस्था जुड़ी हो तो वे पीढ़ी दर पीढ़ी कायम रहती हैं।
यह भी पढ़ें: बिलासपुर में BSNL की वाईफाई रोमिंग सेवा शुरू: ई-सिम जल्द शुरू करेगा, भारत के पास स्वदेशी 4G/5G तकनीकी स्टैक