IAS Santosh Verma Controversy: आईएएस संतोष वर्मा के फर्जीवाड़ा केस की फाइल खुली, बरी करने वाले जज पर हो सकती है कार्रवाई , जानें पूरा मामला

0


IAS Santosh Verma Controversy: ‘ब्राह्मण बेटियों का दान’ मांगने वाले IAS संतोष वर्मा को लेकर मध्यप्रदेश में जमकर सियासत हो रही है। राजनेताओं से लेकर ब्राह्मण संघ इस मामले में खुलकर उनका विरोध कर रही है। वहीं सरकार ने IAS संतोष वर्मा को नोटिस जारी कर 7 दिन के अंदर जवाब मांगा है। बताते हैं संतोष वर्मा पर दर्ज फर्जीवाड़ा केस की फाइल खुल गई है। अब इस मामले में वर्मा को बरी करने वाले जज पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
 पुलिस ने जज से पूछताछ के लिए 50 सवालों की लिस्ट तैयार कर ली है, जिसके लिए हाईकोर्ट की अनुमति का इंतजार है।

फर्जी आदेश से IAS कैडर में लिया प्रमोशन

जानकारी के अनुसार, आईएएस संतोष वर्मा के खिलाफ एक महिला ने शारीरिक शोषण का केस दर्ज कराया था। बताते हैं, इस मामले से बरी होने के लिए उन्होंने कोर्ट के फर्जी आदेश के जरिए आईएएस कैडर में प्रमोशन हासिल किया था। मामला खुला तो इसमें स्पेशल जज विजेंद्र सिंह रावत की भूमिका भी संदिग्ध मिली थी। तब उनका ट्रांसफर कर मामले को साइड लाइन कर दिया था।

हाईकोर्ट से मिली कार्रवाई की अनुमति

4 साल पुराना यह केस हाईकोर्ट में चल रहा था। पुलिस इस मामले में हाईकोर्ट के ऑर्डर का इंतजार कर रही थी। एसीपी विनोद दीक्षित ने हाईकोर्ट से मिली अनुमति की पुष्टि करते हुए कहा है कि कोर्ट ने पुलिस के प्रतिवेदन पर विधि अनुसार कार्रवाई की अनुमति दे दी है।

IAS संतोष वर्मा पर एक महिला से शारीरिक शोषण के आरोपों की फाइल खुल गई है। अब वे इस मामले में फंस सकते हैं।

जज रावत भी भूमिका पर भी संदेह

फर्जी ऑर्डर के जांच में जो बातें सामने आई हैं, वे बेहद चौंकाने वाली हैं। दरअसल, खुद जज विजेंद्र सिंह रावत इसमें लिप्त हो सकते हैं। वह साल 2021 में जिला कोर्ट में पदस्थ रहे हैं। मामले के संदेह पर हाईकोर्ट ने उनका ट्रांसफर कर दिया, लेकिन गिरफ्तारी की अनुमति नहीं दी थी।

SIT ने कार्रवाई की मांगी परमिशन

हाई लेवल कमेटी की रिपोर्ट के बाद जज विजेंद्र सिंह रावत का सस्पेंशन हो गया। जिसके बाद पुलिस की SIT एक्टिव हो गई और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति मांगी थी। इस पर हाईकोर्ट ने 20 नवंबर को कार्रवाई अनुमति दे दी है। जांच में शामिल एक अफसर ने बताया कि विवादित जज को नोटिस जारी कर बुलाया जाएगा। 

बता दें कि चार साल पहले आईएएस संतोष वर्मा को भी इसी तरह नोटिस जारी कर बुलाया गया और पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

हार्ड डिस्क ने उगले राज

जज के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। कोर्ट से उनका कंप्यूटर जब्त किया गया, लेकिन संतोष वर्मा को लेकर उनका दिया गया फैसला डिलीट किया जा चुका था। हार्ड डिस्क की फॉरेंसिक लैब में जांच करवाने पर उनके 2 फैसले मिले। पहले में राजीनामा और दूसरे फैसले में उन्हें बरी किया गया था। 

 छुट्टी पर बताकर कोर्ट में बैठे रहे जज

जब पूछताछ के लिए जज से पुलिस ने संपर्क किया तो उन्होंने खुद को छुट्टी पर होना बताया, लेकिन मोबाइल टॉवर लोकेशन ने उनके झूठ से पर्दा उठा दिया। जिसमें सामने आया कि वह कोर्ट में ही मौजूद थे। पुलिस को IAS संतोष वर्मा की चैटिंग से भी अहम सबूत मिले हैं, जिसमें उन्हें दूसरे मजिस्ट्रेट ने जज के पास भेजा था और वर्मा से लेनदेन संबंधित चैटिंग हो रही थी।

ये भी पढ़ें: IAS Santosh Verma Protest: अजाक्स कार्यालय के घेराव से पहले प्रदर्शनकारियों को रोका, ब्राह्मण समाज ने सड़क पर बैठ दिया धरना, FIR की मांग

IAS एसोसिएशन ने कहा- वर्मा का पर्सनल मैटर

एमपी आईएएस एसोसिएशन संतोष वर्मा के मामले को लेकर मौन है और इसे उनका पर्सनल मैटर बताया जा रहा है। एसोसिएशन की ओर से न कोई टिप्पणी आई है और न ही लिखित में विरोध या समर्थन की बात कही गई। एसोसिएशन के अध्यक्ष मनु श्रीवास्तव का कहना है कि यह उनका पर्सनल मैटर है। शासन की ओर से नोटिस दिया गया है। शासन स्तर पर कार्रवाई प्रोसेस में है, ऐसे में एसोसिएशन का कुछ कहना उचित नहीं है।

FAQ

IAS Santosh Varma

Q: IAS संतोष वर्मा पर मुख्य विवाद क्या है ?

A: उनका विवादित बयान—“ब्राह्मण बेटियों का दान चाहिए”—राज्य में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। इस पर सरकार ने वर्मा को 7 दिन में जवाब देने का नोटिस जारी किया है।

Q: फर्जी आदेश वाला मामला क्या है ?

A: एक महिला द्वारा लगाए गए शारीरिक शोषण के आरोपों से बरी होने के लिए संतोष वर्मा ने कथित तौर पर कोर्ट का फर्जी आदेश बनवाया और उसी के आधार पर IAS कैडर में प्रमोशन लिया था।

Q: जज विजेंद्र सिंह रावत की भूमिका क्यों संदिग्ध मानी जा रही है ?

A: जांच में पता चला कि जज रावत ने संतोष वर्मा को बरी करने वाले आदेश को गलत तरीके से पास किया था। फॉरेंसिक जांच में उनके कंप्यूटर से डिलीट किए गए फैसले भी रिकवर हुए, जिससे संदेह और गहरा गया।

Q: हाईकोर्ट ने क्या कार्रवाई की अनुमति दी है ?

A: पुलिस व SIT द्वारा कार्रवाई की मांग के बाद हाईकोर्ट ने 20 नवंबर को जज रावत पर विधि अनुसार कार्रवाई और पूछताछ की अनुमति दे दी है।

Q: जांच में अब तक कौन-कौन से महत्वपूर्ण सबूत मिले?

A:

  • जज की हार्ड डिस्क से डिलीट किए गए दो फैसले रिकवर हुए

  • मोबाइल लोकेशन से जज के छुट्टी वाला दावा झूठा पाया गया

  • IAS संतोष वर्मा की चैट से लेनदेन और दूसरे मजिस्ट्रेट से संपर्क के सबूत मिले

ये भी पढ़ें:  MP Vidhansabha Winter Session: मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से, चार दिन चलेगी बैठकें, कई बड़े विधेयक होंगे पेश

.

Leave A Reply

Your email address will not be published.