रोजाना खाएं इतना मक्खन, डायबिटीज का खतरा हो सकता है कम! स्टडी में दावा

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डायबिटीज और हार्ट से जुड़ी गंभीर समस्याएं आजकल काफी कम उम्र में ही देखने को मिल रही हैं. इसके पीछे कई फैक्ट होते हैं जैसे बिगड़ा हुआ रूटीन यानी सोने से जागने और खाने तक का सही समय न होना. इसके अलावा खानपान आपके स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. हेल्दी रहने के लिए फैट को कम करने की सलाह दी जाती है. डायबिटीज होने पर हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ता है और ऐसे में डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही, पनीर आदि कम लेने की सलाह दी जाती है. खासतौर पर फैट को देखते हुए मक्खन और देसी घी पर भी लोग रोक लगा देते हैं. फिलहाल हाल ही में आई एक स्टडी में कहा गया है कि मक्खन खाने से डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम को होता है.


लंबे समय से लोगों के मन में ये धारणा बनी हुई है कि सैचुरेटेड फैट जैसे कि मक्खन दिल की बीमारियों की वजह बनता है. फिलहाल Boston University की टीम द्वारा की गई एक रिसर्च में यह पाया गया किया रोजाना अगर मक्खन खाया जाए तो टाइप टू डायबिटीज का जोखिम लगभग एक तिहाई कम होता है जो हार्ट डिजीज यानी दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह है. चलिए इस रिसर्च के बारे में डिटेल के साथ जान लेते हैं.

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मक्खन के सेवन पर की गई रिसर्च
अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी द्वारा मक्खन से जुड़े मिथक को तोड़ने के लिए रिसर्च की गई है, जिसमें 30 साल तक के 2500 पुरुषों और महिलाओं पर कई डिकेड्स यानी दशकों (दशक-दस साल) तक निगरानी रखी गई और यह रिकॉर्ड किया गया कि उन्होंने क्या खाया और कितने लोगों डायबिटीज या फिर दिल की बीमारी हुई. ये रिपोर्ट यूरोपियन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में छपी है.

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गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता मक्खन
मक्खन खाने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है और धमनियों में अवरोध पैदा करने वाले, शरीर को नुकसान पहुंचाने वाला फैट को कम करता है. बैड कोलेस्ट्रॉल की वजह से आर्टरीज (धमनियों) पर दबाव बढ़ता है, जिससे स्ट्रोक या फिर हार्ट अटैक हो सकता है.

क्या कहती है स्टडी?
स्टडी के नतीजों में पाया गया कि जो लोग 5 ग्राम या उससे थोड़ा ज्यादा मक्खन खाते हैं. उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना 31 प्रतिशत तक कम होती है. यह परिणाम उन लोगों के मुकाबले है जो बहुत कम या फिर बिल्कुल भी मक्खन नहीं खाते हैं. डायबिटीज का कारण आमतौर पर खराब डाइट और बिगड़ा हुआ डेली रूटीन होता है. इस स्टडी के मुताबिक, रोजाना अपनी डाइट में 5 ग्राम या एक चम्मच तक मक्खन शामिल किया जा सकता है.

क्यों उठा था मक्खन पर सवाल?
ये नया अध्ययन उन पुराने शोध के बिल्कुल उलट है. दरअसल डेयरी फैट से भरपूर आहार को दिल संबंधी समस्याओं से जोड़ने वाली कुछ रिसर्च 1960 में सामने आई थीं, जब वैज्ञानिकों ने वेस्टर्न ईटिंग कल्चर और हार्ट डिजीज के बढ़ते मामलों के संबंध की जांच की थी. इसके बाद डेयरी फैट्स को कम करने की सलाह दी गई ताकि दिल को नुकसान से बचाया जा सके. फिलहाल अब पाया गया है कि मक्खन में ऐसे तत्व होते हैं जो वाकई दिल के लिए अच्छे हो सकते हैं. दरअसल उस टाइम पर मार्जरीम को मक्खन का हेल्दी रिप्लेसमेंट कहकर इंट्रोड्यूस किया गया था, जिसका उल्टा असर हुआ. इससे डायबिटीज का जोखिम 40 प्रतिशत से ज्यादा और 30 प्रतिशत तक दिल से जुड़ी समस्याओं का जोखिम बढ़ गया. शोधकर्ताओं का कहना है कि संभवत 1970 की डिकेड में मार्जरीन में इस्तेमाल होने वाले ट्रांस फैट की वजह से दिल की समस्याओं का जोखिम ज्यादा रहा होगा.

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डाइट से जुड़े कुछ जरूरी टिप्स रखें ध्यान
हर दिन कम से कम पांच तरह क फल और सब्जियां डाइट में शामिल करने चाहिए.
आहार में आलू, ब्रेड, पास्ता, चावल और बाकी स्टार्च युक्त कार्बोहाइड्रेट्स जैसे साबुत अनाज शामिल कर सकते हैं.
रोजाना कम से कम 30 ग्राम फाइबर लेना चाहिए, जैसे गेहूं के बिस्किट, आटे के ब्रेड, बेक्ड आलू, सब्जियां और फल.
कुछ डेयरी प्रोडक्ट्स और इसके रिप्लेसमेंट जैसे सोया मिल्क चुन सकते हैं और कम चीनी वाली चीजें ही लें.
हफ्ते में बीन्स, दालें, अंडा, मछली जैसी प्रोटीन युक्त चीजें डाइट में शामिल करनी चाहिए.
सैचुरेटेड ऑयल को कम मात्रा में लें और दिन में कम से कम 6 से 8 गिलास पानी पीना चाहिए.
एक व्यस्क व्यक्ति को रोजाना 6 ग्राम से कम नमक लेना चाहिए. इससे ज्यादा नमक सेहत को नुकसान करता है.
एक दिन में महिलाओं को 20 ग्राम और पुरुषों के लिए 30 ग्राम सैचुरेटेड फैट काफी होता है.



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