वाराणसी : प्याज और सब्जी उत्पादन से बढ़ेगी किसानों की आमदनी, संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने दिए सुझाव
वाराणसी। आईसीएआर के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी एवं प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय (डीओजीआर), पुणे के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को “प्याज की व्यावसायिक खेती” पर किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस तकनीक-केन्द्रित कार्यक्रम में 300 से अधिक किसानों ने भाग लिया। एग्रिमित्र किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड की इसमें विशेष भूमिका रही।

कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी और सीमांत किसानों को उच्च मूल्य वाली फसल उत्पादन तकनीकों से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था। डीओजीआर के निदेशक डॉ. विजय महाजन ने बताया कि वैज्ञानिक प्रशिक्षण के माध्यम से क्षेत्र में प्याज और लहसुन की खेती में छह गुना वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि हमारे लक्षित हस्तक्षेपों ने उत्पादन पद्धतियों में सकारात्मक बदलाव लाए हैं।
आईआईवीआर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने किसानों को सलाह दी कि वे प्याज के साथ सब्जी उत्पादन को भी अपनाएं। उन्होंने कहा कि किसान छोटे स्तर पर किचन गार्डन से शुरुआत कर व्यावसायिक स्तर तक सब्जियों और मसालों की खेती कर अपनी पोषण सुरक्षा और आय में वृद्धि कर सकते हैं।
तकनीकी सत्रों में वैज्ञानिकों ने जैव-उर्वरकों के उपयोग, स्वस्थ नर्सरी तैयार करने, प्याज उत्पादन की आधुनिक तकनीक, टमाटर की उन्नत प्रजातियों, सब्जियों में रोग प्रबंधन और टीएसपी योजनाओं पर जानकारी दी। डॉ. अमरजीत गुप्ता ने वैज्ञानिक खेती से आदिवासी किसानों की आय में हुए सुधार को रेखांकित किया। डॉ. डी.पी. सिंह, डॉ. सुदर्शन मौर्य, डॉ. जगेश तिवारी और डॉ. नीरज सिंह ने किसानों से संवाद किया।
कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया और पूर्वांचल में खरीफ प्याज उत्पादन की सफलता पर आधारित वृत्तचित्र भी प्रदर्शित किया गया। एग्रिमित्र एफसीओ के अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने कहा कि प्याज और सब्जी की फसलें वर्षभर आय के अवसर प्रदान करती हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देती हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. डी.आर. भारद्वाज ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. गोविंद नारायण सिंह ने दिया।