आदिवासी विकास विभाग में इंटरएक्टिव पैनल खरीदी में गड़बड़ी, डेढ़ लाख वाले इंटरएक्टिव पैनल को 10- 10 लाख रुपए में खरीदने का अनुबंध

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इंटरएक्टिव पैनल खरीदी के नाम पर जेम पोर्टल के माध्यम से गड़बड़ी किए जाने का मामला सामने आया है. यहां आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों ने डेढ़-डेढ़ लाख रूपए वाले इंटरएक्टिव पैनल को 10-10 लाख रुपए में खरीदने के लिए अनुबंध किया है.

CG News: छत्तीसगढ़ के आदिवासी विकास विभाग में जग खरीदी में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए विपक्ष के नेताओं ने कल खूब बयान बाजी की. लेकिन आज एक और नया मामला सामने आया है और यह मामला सरगुजा जिले के आदिवासी विकास विभाग का है. यहां पर इंटरएक्टिव पैनल खरीदी के नाम पर जेम पोर्टल के माध्यम से गड़बड़ी किए जाने का मामला सामने आया है. यहां आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों ने डेढ़-डेढ़ लाख रूपए वाले इंटरएक्टिव पैनल को 10-10 लाख रुपए में खरीदने के लिए अनुबंध किया है. हालांकि, साफ नहीं है कि अधिकारी अनुबंध के तहत खरीदी करने के बाद इन इंटरएक्टिव पैनल को आखिर कहां पर उपयोग में लाते.

विस्तार न्यूज़ की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि जनवरी 2025 में सरगुजा जिले के असिस्टेंट कमिश्नर आदिवासी विकास विभाग ने जेम पोर्टल के माध्यम से पांच इंटरएक्टिव पैनल खरीदी के लिए कोरिया जिले के बैकुंठपुर स्थित बंगलामुखी इंटरप्राइजेज लिमिटेड से अनुबंध किया और एक-एक इंटरएक्टिव पैनल के लिए 9,99500 रुपए का अनुबंध किया गया था इस तरीके से कुल पांच इंटरएक्टिव पैनल खरीदी किए जाने का अनुबंध किया गया.

सोशल मीडिया में अब जेम पोर्टल के माध्यम से किए गए अनुबंध की प्रति अब वायरल हो रही है. जिसमें सप्लाई के लिए अनुबंध किए गए फर्म का भी जिक्र किया गया है. फर्म का नाम बगलामुखी इंटरप्राइजेज लिमिटेड, दुर्गा मंदिर के पास प्रेम बाग रोड जामपारा लिखा गया है. इसके संचालक दीपक सोनी हैं और इस अनुबंध में उनका मोबाइल नंबर भी दिखाई दे रहा है उनके मोबाइल नंबर पर जब हमने कॉल किया तो उन्होंने बताया कि विभाग ने उनके साथ अनुबंध जरूर किया था लेकिन अनुबंध के बाद उनसे सप्लाई नहीं लिया गया हालांकि उनका कहना है कि इस अनुबंध को रद्द करने के बाद विभाग ने फिर से किसी दूसरे फर्म के साथ अनुबंध किया होगा. हालांकि हमने जब उनसे पूछा कि यह अनुबंध विभाग ने क्यों रद्द किया तो उनका कहना था कि उस समय बजट की कमी थी.

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हालांकि अब पूरे मामले को लेकर सवाल उठ रहा है कि कई गुना अधिक रेट पर खरीदी के लिए अनुबंध क्यों किया गया था क्या इसमें सप्लाई होने के बाद अधिकारियों को भी मोटा कमीशन मिलने वाला था, चाहे जो भी हो अधिकारियों के इस करतूत की वजह से विपक्ष को जरूर मुद्दा मिल गया है और दूसरी तरफ ऐसे अफसर के कारण सरकार की छवि पर भी असर पड़ रहा है. बाजार भाव से कई गुना अधिक रेट पर सप्लाई के लिए अनुबंध करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जरूरत है. इस पूरे मामले में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ललित शुक्ला से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन कॉल रिसीव नहीं किया.

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