CG DMF Scam: छत्तीसगढ़ DMF घोटाला, आरोपी सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त अंतरिम जमानत, राज्य से बाहर रहने का आदेश

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CG DMF Scam: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बहुचर्चित डीएमएफ घोटाले में आरोपी सूर्यकांत तिवारी (Surya Kant Tiwari) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अंतरिम जमानत (Interim Bail) दे दी है। साथ ही उन्हें राज्य से बाहर रहने का सख्त निर्देश भी दिया गया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) और जस्टिस जॉयमाल्या (Justice Joymalya Bagchi) की डबल बेंच में हुई।

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कोर्ट में किसने रखा पक्ष?

डीएमएफ घोटाले में सूर्यकांत तिवारी को मिली जमानत

सूर्यकांत तिवारी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) और शशांक मिश्रा (Shashank Mishra) ने पैरवी की, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से महेश जेठमलानी (Mahesh Jethmalani) और अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा (Vivek Sharma) ने विरोध जताया। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत का आदेश दिया।

पहले भी मिल चुकी है शर्तों के साथ जमानत

इस केस में पहले ही निलंबित IAS रानू साहू (Ranu Sahu), समीर बिश्नोई (Sameer Bishnoi) और सौम्या चौरसिया (Saumya Chaurasia) को भी हाईकोर्ट से राज्य से बाहर रहने की शर्त पर जमानत मिल चुकी है।

क्या है DMF घोटाला?

DMF यानी डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (District Mineral Foundation) फंड का उपयोग खनन से प्रभावित इलाकों के लोगों के लिए किया जाना था। लेकिन जांच में पता चला कि टेंडरों में भारी गड़बड़ियां हुईं और नियमों को ताक पर रखकर ठेके दिए गए।

ED (Enforcement Directorate) और EOW (Economic Offences Wing) दोनों एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं। जांच में खुलासा हुआ कि ठेकेदारों से भारी कमीशन लेकर टेंडर बांटे गए, जिसमें नेताओं और अफसरों की मिलीभगत थी।

ईडी की रिपोर्ट में क्या-क्या खुलासे हुए?

  • टेंडर के बदले 25% से 40% तक रिश्वत ली गई।

  • अवैध रकम को “अकोमोडेशन एंट्री” के रूप में छिपाया गया।

  • 76.5 लाख रुपये कैश जब्त किया गया।

  • 8 बैंक अकाउंट सीज, जिसमें 35 लाख रुपये थे।

  • कई फर्जी फर्मों और दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया।

  • डिजिटल डिवाइसेज़ और अन्य सबूत भी बरामद किए गए।

रानू साहू के कार्यकाल में अनियमितताएं

छत्तीसगढ़ की पूर्व आईएएस रानू साहू

ईडी के अनुसार, यह घोटाला उस समय हुआ जब रानू साहू रायगढ़ और कोरबा जिलों में कलेक्टर थीं। उन्हीं के कार्यकाल में डीएमएफ के फंड का दुरुपयोग किया गया और ठेकेदारों से रिश्वत ली गई।

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