भारत के महान शिक्षक जिन्होंने शिक्षा की दिशा बदली: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से लेकर अब्दुल कलाम तक शिक्षकों की गाथा

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Great Teachers: भारत की शिक्षा यात्रा में कई ऐसे महान शिक्षक हुए हैं जिन्होंने अपने ज्ञान, विचारों और कर्मों से समाज की सोच बदल दी। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) जैसे शिक्षकों ने केवल किताबों तक सीमित रहकर नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी को नई दिशा दी।

भारत के महान शिक्षक जिन्होंने शिक्षा की दिशा बदली: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से लेकर अब्दुल कलाम तक शिक्षकों की गाथा

शिक्षा का असली आधार

भारत (India) की पहचान उसकी गुरु-शिष्य परंपरा (Guru-Shishya Tradition) से होती है। यहां शिक्षा केवल नौकरी पाने का साधन नहीं, बल्कि जीवन जीने का मार्ग मानी जाती रही है। इसी परंपरा को जीवित रखने और बदलते दौर के हिसाब से आगे बढ़ाने में कुछ शिक्षकों ने ऐतिहासिक योगदान दिया है।

1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 

भारत के दूसरे राष्ट्रपति और महान दार्शनिक। इन्होंने शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का सबसे बड़ा हथियार माना। उनके जन्मदिन पर शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) मनाया जाता है। उनका जन्मदिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने भारतीय संस्कृति और दर्शन को पूरी दुनिया में नई पहचान दिलाई।

2. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 

भारत के “मिसाइल मैन (Missile Man)” और पूर्व राष्ट्रपति। कलाम ने लाखों युवाओं को सपना देखने और उसे पूरा करने की प्रेरणा दी। वे आज भी छात्रों के बीच रोल मॉडल हैं। उन्होंने युवाओं को सपने देखने और उन्हें साकार करने की सीख दी। सरल स्वभाव और समर्पण के कारण वे आज भी करोड़ों छात्रों के रोल मॉडल माने जाते हैं।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम | शिक्षाडॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम | शिक्षा

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3. सवित्रीबाई फुले 

भारत की पहली महिला शिक्षिका। उन्होंने महिलाओं और दलितों की शिक्षा के लिए जीवन समर्पित कर दिया। सवित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारक थीं। सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष करते हुए उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाने में अहम योगदान दिया।

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4. महात्मा ज्योतिबा फुले

सामाजिक सुधारक और शिक्षाविद जिन्होंने जाति और लिंग आधारित भेदभाव को तोड़कर शिक्षा का प्रसार किया। उन्होंने जाति और लिंग के भेदभाव को तोड़कर शिक्षा को सभी के लिए समान अधिकार बनाने का काम किया। उन्होंने सवित्रीबाई फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला और समाज में समानता का संदेश फैलाया।

5. गुरु नानक देव 

सिख धर्म के संस्थापक, जिन्होंने शिक्षा को मानवता और सेवा का आधार बताया। उन्होंने मानवता, समानता और सेवा को जीवन का मूल मंत्र बताया। गुरु नानक ने जात-पात और भेदभाव का विरोध किया और “एक ओंकार” का संदेश देकर समाज को एकजुट किया। उनके विचार आज भी मार्गदर्शक हैं।

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6. स्वामी विवेकानंद

उन्होंने युवाओं को आत्मविश्वास, चरित्र और कर्म पर आधारित शिक्षा की राह दिखाई। उन्होंने युवाओं को आत्मविश्वास, साहस और कर्मयोग का संदेश दिया। 1893 में शिकागो धर्म संसद में उनका भाषण विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने शिक्षा को चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण का आधार बताया। उनका जीवन आज भी प्रेरक है।

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7. दयानंद सरस्वती

आर्य समाज के संस्थापक, जिन्होंने वेदों पर आधारित शिक्षा और महिला शिक्षा की वकालत की। स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक और महान सामाजिक सुधारक थे। उन्होंने वेदों को सच्चा ज्ञान माना और मूर्तिपूजा, अंधविश्वास तथा सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया। उन्होंने महिला शिक्षा और समानता पर जोर दिया। उनका नारा “वेदों की ओर लौटो” (Back to Vedas) आज भी प्रासंगिक है।

स्वामी दयानंद सरस्वती जी और उनका समाज के प्रति योगदानस्वामी दयानंद सरस्वती जी और उनका समाज के प्रति योगदान

8. मदर टेरेसा

हालांकि वे शिक्षिका नहीं थीं, लेकिन सेवा और करुणा के माध्यम से उन्होंने शिक्षा को मानवता का दूसरा नाम बना दिया।

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9. रवींद्रनाथ टैगोर

विश्वभारती विश्वविद्यालय (Visva-Bharati University) के संस्थापक, जिन्होंने शिक्षा को कला, संस्कृति और प्रकृति से जोड़कर नई परिभाषा दी। रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि, दार्शनिक, शिक्षाविद और नोबेल पुरस्कार विजेता थे। उन्होंने शांति निकेतन और विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना की, जहां शिक्षा को कला, संस्कृति और प्रकृति से जोड़ा गया। उनकी रचना “जन गण मन” भारत का राष्ट्रीय गान है। वे भारतीय साहित्य और शिक्षा के स्तंभ थे।

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10. डॉ. बी.आर. अंबेडकर 

भारत के संविधान निर्माता, जिन्होंने शिक्षा को सामाजिक समानता और अधिकारों का सबसे बड़ा साधन बताया। उन्होंने दलितों और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। उन्होंने शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय को अपना मिशन बनाया। अंबेडकर ने महिलाओं के अधिकारों की भी वकालत की और आधुनिक भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाई।

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