छोटी सी उम्र में खो दिए दोनों हाथ, फिर भी गजब की पेंटिंग बनाती कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की छात्रा भारती

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कुरुक्षेत्र | “कभी सुना है कि अंधेरों ने उजाला ना होने दिया हो…” जिनके मन में कुछ करने की इच्छा होती है वह कर गुजरते हैं, लेकिन जिन्हें नहीं करना, उनके लिए तमाम तरह के बहाने होते हैं. अगर बहाने ही लगाने होते तो कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में फाइन आर्ट विभाग में मास्टर डिग्री के द्वितीय वर्ष में पढ़ रही भारती के लिए काफी था. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्यूंकि बचपन में ही छोटी सी उम्र में दोनों हाथों को खो देने के बाद भी भारती ने हार न मानने की ठानी.

इतना कुछ होने के बाद भी भारती के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हमेशा बरकरार रहा. आज वह बिना हाथों के ही इतनी जबरदस्त पेंटिंग बना देती है कि देखने वाले दंग रह जाते हैं.

संघर्ष भरा रहा बचपन

यह जो प्रेरणादायक कहानी है, वह उत्तराखंड के नैनीताल के रामनगर की भारती की है. उनके परिवार में 5 भाई- बहन और उनकी मां हैं. बचपन से ही इनके सिर से पिता का साया उठ गया, जिस कारण परिवार पर आर्थिक चुनौतियां हावी होने लगी. बचपन में छोटी सी उम्र में विस्फोटक पदार्थ का प्रयोग करते हुए भारती के दोनों हाथ क्षतिग्रस्त हो गए, जिस कारण डॉक्टरों को इलाज के दौरान उनके दोनों हाथों को काटना पड़ा.

हादसे के बाद खुद को संभाला

अपने साथ हुए इस हादसे के बारे में हालांकि उस समय भारती को ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन धीरे- धीरे जैसे वह बड़ी होती रही उन्होंने इसका अहसास होने लगा. उन्होंने अपने रोजमर्रा के कामों को करना सीख लिया. 12वीं कक्षा तक वह अन्य विद्यार्थियों की तरह एक साधारण विद्यार्थी रही है, 12वीं के बाद उन्होंने फाइन आर्ट विषय को चुना. यहां से उनकी जिंदगी बदलना शुरू हो गई.

हाथ नहीं होने के कारण उन्हें काफी परेशानियां सामने आई, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसकी आदत डाल ली. अब वह फाइन आर्ट में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रही है.

प्रकृति से जुड़ाव को किया पेंटिंग में इस्तेमाल

भारती बताती हैं कि उन्हें प्रकृति अच्छी लगती है और यही वह अपनी पेंटिंग में भी व्यक्त करती हैं. वह नेचुरल तरीके से रंग तैयार करके अपनी पेंटिंग्स में इस्तेमाल करती हैं. भारती द्वारा बनाए गए आर्ट की एग्जीबिशन चंडीगढ़, अमृतसर और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में लग चुकी है. वह कहती हैं कि जो लोग उनके एग्जीबिशन में उनकी पेंटिंग्स को देखते हैं, वह उनके काम की तारीफ किए बिना नहीं रहते. इससे उनका मनोबल बढ़ता है और और भी ज्यादा अच्छे तरीके से काम करने के लिए मोटिवेट होती हैं.

गांव के बच्चो को भी सिखाती हैं पेंटिंग

वे मास्टर डिग्री करने के बाद फाइन आर्ट में काम करके अपना भविष्य बनाना चाहती हैं. भारती ने बताया कि जब भी उनकी छुट्टी होती है तो वह गांव जाकर वहां बच्चों को चित्रकला की बारीकियां सिखाती हैं. इस बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टर गुरु चरण सिंह, फाइन आर्ट विभाग अध्यक्ष, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने बताया कि भारती काफी होनहार छात्रा है. हाथ न होने के बावजूद भारती को चित्रकला में बड़ी महारत हासिल है.

शारीरिक तौर पर सक्षम लोग भी इतनी अच्छी पेंटिंग्स नहीं बना पाते, जितनी अच्छी भारती बना लेती है. भारती बाकी लोगों के लिए भी मोटिवेशन का काम करती है. भारती ने अपनी कला के दम पर यह साबित कर दिया है कि यदि किसी काम को करने की लगन हो तो शारीरिक कमियां आड़े नहीं आती.

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