Balaghat MLA vs DFO Update: बालाघाट विधायक-डीएफओ विवाद में जांच टीम ने दर्ज किए दोनों पक्षों के बयान

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हाइलाइट्स

  • बालाघाट विधायक-डीएफओ विवाद जांच शुरू

  • जांच दल ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए

  • दोनों पक्षों के एक-दूसरे पर गंभीर आरोप

बालाघाट में कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे और डीएफओ (DFO) नेहा श्रीवास्तव के बीच कथित रिश्वत विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। इस मामले की जांच के लिए गठित टीम शुक्रवार (12 सितंबर)  को बालाघाट पहुंची और दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए।

जांच अधिकारियों ने की पड़ताल

मामले की गंभीरता को देखते हुए एपीसीसीएफ (APCCF) कोमलिका मोहंता और दक्षिण सिवनी सीएफ (CF) बासु कनौजिया जांच के लिए बालाघाट आए। उन्होंने डीएफओ दक्षिण बालाघाट नेहा श्रीवास्तव और कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे से अलग-अलग मुलाकात कर उनका पक्ष सुना। जांच अधिकारियों ने घटना के समय मौजूद वन विभाग के कर्मचारियों और अन्य स्टाफ से भी बातचीत की, ताकि पूरे घटनाक्रम की सटीक जानकारी मिल सके।

विवाद की शुरुआत कैसे हुई

डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने 18 अगस्त को वन बल प्रमुख को एक पत्र लिखकर 16 अगस्त की घटना का जिक्र करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने विधायक पर कथित तौर पर तीन लाख रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। दूसरी ओर, विधायक अनुभा मुंजारे ने डीएफओ उत्तर बालाघाट अधर गुप्ता के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि गुप्ता नशाखोरी के आदी हैं और उन पर मादा बाघ के शिकार और सबूत मिटाने जैसे मामलों में शामिल होने का शक है।

बता दें कि डीएफओ नेहा श्रीवास्तव और डीएफओ अधर गुप्ता पति-पत्नी हैं।

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विधायक मुंजारे ने पूर्व मंत्री पर लगाया आरोप

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे और महिला डीएफओ (Divisional Forest Officer) नेहा श्रीवास्तव के बीच मामला उस वक्त सुर्खियों में आया जब डीएफओ नेहा ने एक पत्र लिखकर विधायक पर तीन लाख रुपए मांगने और धमकाने का आरोप लगाया। दूसरी ओर, विधायक ने इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन पर मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया था।

इसके बाद ही, सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है और उसने काम भी शुरू कर दिया। विधायक मुंजारे ने डीएफओ दंपती पर मानहानि का मुकदमा ठोकने की भी बात कही थी।

मामला कहां से हुआ शुरू

दरअसल, विवाद की जड़ 27 जुलाई की घटना से जुड़ी है। उस दिन सोनेवानी क्षेत्र में एक बाघ की लाश मिली थी। दो दिन बाद विभागीय कर्मचारियों ने बिना जरूरी प्रोटोकॉल पूरे किए ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया। विधायक का कहना है कि इस मामले में डीएफओ अधर गुप्ता की जिम्मेदारी बनती थी, लेकिन कार्रवाई छोटे कर्मचारियों पर हुई। उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया और यही बात डीएफओ दंपती को नागवार गुजरी।

ग्वालियर में शुक्रवार (12 सितंबर) दोपहर का वक्त उस समय दहशत में बदल गया जब एक युवक ने अपनी पत्नी को 315 बोर के कट्टे से एक के बाद एक पांच गोलियां दाग दीं। चार गोलियां महिला नंदिनी को लगीं और एक सड़क पर धंस गई। गोलियां लगने के बाद नंदिनी सड़क पर तड़प रही थी और उसी दौरान आरोपी पति अरविंद परिहार फेसबुक LIVE पर आ गया। उसने हाथ में कट्टा लेकर फेसबुक पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें।

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