देश के हर सैनिक के पीछे है मां दुर्गा का बल, काशी के प्रख्यात मूर्तिकार ने बनाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को समर्पित शहर की सबसे खास प्रतिमा
वाराणसी। महादेव की नगरी काशी में दुर्गापूजा का उत्सव पूरे उल्लास पर है। यहां की दुर्गापूजा को देखते ही श्रद्धालु कहते हैं कि यह केवल पूजा नहीं, बल्कि संस्कृति, भक्ति और समाजिक चेतना का संगम है। कोलकाता की तरह काशी में भी दुर्गा पंडालों का भव्य आयोजन होता है, जिसे देखने देशभर से लोग आते हैं। इस बार पंडालों की थीमें बेहद खास और अलग संदेश देने वाली हैं।

ऑपरेशन सिंदूर थीम इस बार का मुख्य आकर्षण है। काशी के प्रसिद्ध मूर्तिकार अभिजीत विश्वास ने इस प्रतिमा को तैयार किया है। इसमें मां दुर्गा भारतीय वीर सपूतों के साथ खड़ी होकर आतंकवाद रूपी रावण का वध करती दिखेंगी। सैनिक हाथों में बंदूक और अस्त्र-शस्त्र लिए मां का आशीर्वाद पाकर दुश्मनों का नाश करते नजर आएंगे। यह झांकी जहां एक ओर श्रद्धालुओं में भक्ति जगाएगी, वहीं दूसरी ओर देशभक्ति का भी संदेश देगी।

इतना ही नहीं, कई अन्य पंडालों में पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखकर मां की प्रतिमाएं बनाई गई हैं। इनमें मां दुर्गा को हरे-भरे वृक्षों और जल स्रोतों की रक्षा करते दिखाया गया है। आयोजकों का कहना है कि दुर्गा पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने का अवसर भी है।

वाराणसी में 500 से अधिक दुर्गा पंडाल सज रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक हर ओर शक्ति की गूंज सुनाई दे रही है। बड़े पंडालों में सजावट और प्रतिमाओं की भव्यता को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है। कई पंडालों में इलेक्ट्रॉनिक शो और लाइटिंग से वातावरण और भी मनमोहक हो गया है।

कोलकाता के बाद काशी को ही “मिनी बंगाल” कहा जाता है, जहां दुर्गापूजा का ऐसा विराट स्वरूप देखने को मिलता है। यहां की झांकियां सिर्फ आस्था ही नहीं, बल्कि कला, रचनात्मकता और सामाजिक संदेश का भी अद्भुत संगम प्रस्तुत करती हैं।

श्रद्धालु उत्साह के साथ इंतजार कर रहे हैं कि कब मां दुर्गा के अनोखे स्वरूपों के दर्शन कर पुण्य अर्जित करें और भक्ति, देशभक्ति और जागरूकता का संगम एक साथ देख सकें।
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