Bhopal Desi Gun: जुगाड़ से बनी देसी गन से 23 लोगों की आंखें-चेहरे झुलसे, डॉक्टर्स ने बताया खतरनाक

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हाइलाइट्स

  • देसी पटाखा गन से 23 घायल
  • कैल्शियम कार्बाइड बनाता है घातक गैस
  • डॉक्टरों ने बताया खतरनाक

Bhopal Desi Gun Injured: दिवाली पर मध्य प्रदेश के बाजारों, विशेषकर भोपाल में बिक रही सस्ती देसी पटाखा गन अब लोगों के लिए घातक हो गई है। इससे 23 लोगों की आंखें और चेहरे झुलक चुके हैं। डॉक्टरों से इसे खतरनाक बताया है। अब सवाल है कि आखिर प्रशासन इस पर रोक क्यों नहीं लगा रहा है। साथ इसे बेचने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद लोग बिना सेफ्टी नॉम्स को समझे खरीद रहे हैं। इसकी बाजार में कीम 100 से 200 रुपए तक है।

भोपाल में खुलेआम बिक रही 

सोशल मीडिया पर वीडियो पर वायरल होने के बाद इसका ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। राजधानी भोपाल में ही कई चौराहों के आसपास फुटपाथ पर खुलेआम बिक रही है। लोग भी इसे अचरज से देख रहें हैं और खरीद भी रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि यह गन कोई खिलौना नहीं, बल्कि रासायनिक गैस से फटने वाला ‘छोटा बम’ है, जो पलभर में आंखों की रोशनी भी छीन सकता है।

Bhopal Desi Gun: जुगाड़ से बनी देसी गन से 23 लोगों की आंखें-चेहरे झुलसे, डॉक्टर्स ने बताया खतरनाक
इस तरह की होती है देसी गन।

एक्सपर्ट क्या बोले ?

एक्सपर्ट का कहना है कि इसमें भरा कैल्शियम कार्बाइड पानी के संपर्क में आकर एसिटिलीन गैस बनाता है, जो न केवल विस्फोट करती है बल्कि दिमाग और नसों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। इसे चलाने के बाद भोपाल में गांधी मेडिकल कॉलेज और बीएमएचआरसी में अब तक अनेक बच्चे भर्ती हो चुके हैं।

मेडिकल संस्थाओं ने रोक लगाने की मांग की

डॉक्टर्स ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यह देसी गन दिवाली का खिलौना नहीं, एक बम है, जो कुछ सेकंड्स में आंखों की रोशनी और नुकसान पहुंचा सकता है। यही वजह है कि ऑप्थेलमोलॉजी सोसाइटी, भोपाल डिवीजन और केंद्रीय संस्थान भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) ने इसके इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।

भोपाल में 11 से ज्यादा केस सामने आए

हालत यह हैं कि भोपाल में रविवार शाम 5 बजे से सोमवार सुबह 9 बजे तक इस गन से आंखों को नुकसान के 11 केस अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचे हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज, एम्स और जेपी अस्पताल में दिवाली की रात के लिए इमरजेंसी मेडिसिन एंड ट्रॉमा, आई डिपार्टमेंट और बर्न यूनिट की संयुक्त टीम तैयार रखी गई है। यहां इमरजेंसी ऑपरेशन की भी व्यवस्था है।

पहली बार दिख रहा है ऐसा ट्रेंड

डॉक्टर के अनुसार यह पहली बार है जब दिवाली के मौके पर इस तरह की समस्याओं के साथ मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। देसी गन से प्रभावित होने वाले लोगों में सबसे ज्यादा संख्या 8 से 12 साल के बच्चों की है। इनके अलावा युवा और बुजुर्ग भी इसकी चपेट में आए हैं।

क्यों है यह गन खतरनाक

बीएमएचआरसी के नेत्र विभाग की एचओडी डॉ. हेमलता यादव ने बताया- यह पटाखा गन एक केमिकल रिएक्शन से विस्फोट पैदा करती है। इसमें कैल्शियम कार्बाइड (Calcium Carbide) भरा होता है। जब इसके अंदर पानी डाला जाता है, तो एसीटिलीन गैस (Acetylene Gas) बनती है। गन के निचले हिस्से में बने लाइटर से आग जलाने पर यह गैस दबाव बनाकर तेजी से बाहर निकलती है और विस्फोट होता है।

डॉ. यादव ने बताया कि मरीजों से पूछताछ में सामने आया है कि जब पटाखा तुरंत नहीं फूटता, तो बच्चे और लोग गन के आगे झांककर देखते हैं। उसी समय गैस प्रेशर बढ़ने पर विस्फोट हो जाता है और आंखों पर सीधा प्रहार होता है।

ब्रेन में सूजन पैदा कर सकती है गैस

गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएस कुबरे ने बताया कि एसीटिलीन गैस सांस के जरिए शरीर में पहुंचकर दिमाग और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकती है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से ऑक्सीजन की कमी (Hypoxia) होती है, जिससे सिरदर्द, चक्कर, नींद आना, याददाश्त कम होना, मानसिक भ्रम, मिजाज में बदलाव, मस्तिष्क में सूजन और दौरे जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

अब तक कहां कितने केस 

  • एम्स, भोपाल -3
  • बीएमएचआरसी-3
  • गांधी मेडिकल कॉलेज- 2
  • एसजी अस्पताल -1
  • विदिशा – 2
  • रायसेन -1

अब तक ये बच्चे घायल

  • अनीश मालवीय (19 साल) मिसरोद, भोपाल
  • रीतिक (14 साल) नर्मदापुरम
  • आदित्य (9 साल) नर्मदापुरम
  • प्रशांत (12 साल) भोपाल
  • ऋषि (14 साल) भोपाल
  • अहमद ( 9 साल) भोपाल
  • कृष्ण- बैरसिया
  • सुभाष (10 साल) भोपाल
  • मोहम्मद आसिफ (12 साल) भोपाल
  • जितेश (11 साल) भोपाल

कोलार के युवक ने बनाई गन, बेचता मिला

भोपाल में सुभाष एक्सीलेंस स्कूल के सामने कोलार का रहने वाला अजय शनिवार को देसी गन बेचते नजर आया। अजय ने बताया कि एक दिन में वो 80 से ज्यादा ऐसी गन बेच चुका है। इसे बनाने में सिर्फ लाइटर, पीवीसी पाइप और ग्लू की जरूरत पड़ती है।

उसका एक पूरा ग्रुप है, जो शहर के अलग-अलग ठिकानों पर यह गन बेचने का काम करता है। अकेले एक दुकान से ऐसी 80 से 100 गन रोजाना बिक रही हैं। इनकी कीमत 100 से 200 रुपए के बीच होती है।

सोशल मीडिया पर रील देख पहुंचे खरीदने

भोपाल के पुष्पेंद्र ठाकुर ने बताया कि एक वीडियो उन्होंने सोशल मीडिया पर देखा था, जिसमें इस गन को दिखाया गया था। इसके बाद आज उन्हें जब यह गन बिकती नजर आई तो वो इसे खरीदने के लिए आ गए। यहां कई लोग यह गन खरीद रहे थे।

हमेशा के लिए जा सकती है आंखों की रोशनी

बीएमएचआरसी के नेत्र विभाग की एचओडी डॉ. हेमलता यादव ने बताया कि इस गन के इस्तेमाल से आंखों की काली पुतली (iris) और कॉर्निया को गहरी चोट लगती है। कई मामलों में स्टेम सेल डैमेज होने से कॉर्निया स्थायी रूप से खराब हो सकता है। गंभीर मामलों में ऑप्टिक न्यूरोपैथी यानी आंख की नसों को नुकसान और रेटिना में सूजन भी आ सकती है, जिससे हमेशा के लिए दृष्टि जा सकती है।

उन्होंने कहा कि यह बेहद खतरनाक प्रकार का पटाखा है और इसका उपयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए। थोड़ी सी लापरवाही आंखों की रोशनी छीन सकती है।

फलों को पकाने में यूज होता है यह केमिकल

कैल्शियम कार्बाइड एक केमिकल है, जो आमतौर पर फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होता है। कुछ लोग इसका इस्तेमाल अवैध तरीके से फलों को जल्दी पकाने के लिए करते हैं।

त्योहारों के चलते कारोबारी कैल्शियम कार्बाइड से केले, आम और पपीते जैसे फल पका रहे हैं। यह बेहद खतरनाक और जहरीला तरीका है क्योंकि बाजार में मिलने वाला कैल्शियम कार्बाइड, आर्सेनिक और अन्य कैंसर पैदा करने वाले रसायन के साथ मिलावट के रूप में होता है।

रिसर्च के मुताबिक, कैल्शियम कार्बाइड से फल पकाने से त्वचा जलना, खुजली, सूजन जैसी तुरंत असर वाली समस्याएं हो सकती हैं।

 

 

 

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