चंबल नदी में रेत खनन का मामला NGT को ट्रांसफर, आईपीएस की हुई थी हत्या, याचिकाकर्ता का आरोप- 75 लोगों की हो चुकी मौत
MP News: याचिकाकर्ता ने बताया कि अवैध खनन की वजह से घड़ियाल अभ्यारण्य को नुकसान पहुंच रहा है. इसके अलावा मुरैना से ग्वालियर तक के रास्ते पर रेत खनन में लगे वाहन इतनी तेज रफ्तार से गुजरते हैं कि राहगीरों को जान का जोखिम होता है
अवैध रेत खनन की जनहित याचिका हाई कोर्ट ने एनजीटी को ट्रांसफर की
MP News: चंबल नदी में रेत खनन को लेकर दायर जनहित याचिका को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी NGT को ट्रांसफर कर दी गई है. इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है. याचिकाकर्ता ने कहना है कि अवैध खनन की वजह से घड़ियाल अभ्यारण्य को नुकसान पहुंच रहा है. इसके अलावा मुरैना से ग्वालियर तक के रास्ते पर रेत खनन में लगे वाहन इतनी तेज रफ्तार से गुजरते हैं कि राहगीरों की जान को खतरा होता है.
अब तक 75 लोगों की हुई मौत
वकील अवधेश सिंह तोमर ने जून 2025 में ये जनहित याचिका हाई कोर्ट में दायर की थी. इस याचिका में कहा गया कि चंबल नदी में बहुत लंबे समय से अवैध रेत खनन चल रहा है, इससे पर्यावरण के साथ-साथ आम लोगों को भी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर में रेत भरकर बिना किसी कागजी कार्रवाई के अवैध परिवहन किया जा रहा है. इससे लोगों की जान खतरे में है. अब तक इस मामले में 75 लोगों की जान जा चुकी है. इसमें आम लोगों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं. इनमें एक IPS और कई पुलिसकर्मी भी हैं.
प्रशासन नहीं कर रहा कोई कार्रवाई
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से कहा कि ग्वालियर-मुरैना के रास्ते पर खनन माफिया तेज रफ्तार से वाहन चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं हो रही हैं. राहगीरों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. इस हादसों के बाद भी प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
घड़ियाल अभ्यारण्य को पहुंच रहा नुकसान
चंबल नदी में घड़ियाल पाए जाते हैं. इनके संरक्षण के लिए चंबल नदी में राष्ट्रीय घड़ियाल अभ्यारण्य स्थापित किया गया है. यह मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित है जिसकी बॉर्डर उत्तर प्रदेश और राजस्थान से लगती है. याचिका में इस अभ्यारण्य के संरक्षण को लेकर बात कही गई. याचिकाकर्ता ने कहा कि रेत खनन पर पूरी तरह प्रतिबंधित लगना चाहिए. रेत खनन से घड़ियाल के अंडों को नुकसान पहुंच रहा है, जिससे पूरी प्रजाति पर अस्तित्व का संकट है. घड़ियाल के साथ-साथ मगरमच्छ, गंगा डॉल्फिन, भारतीय फ्लैपशेल कछुए, सॉफ्टशेल कछुए और मॉनिटर लिजार्ड जैसे जीव-जंतुओं पर असर पड़ रहा है.
हादसों पर लगाम लगाई जा सकती है- याचिकाकर्ता
पहले भी चंबल में अवैध रेत खनन का मामला NGT को भेजा जा चुका है. इसी आधार पर फिर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने इस मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को ट्रांसफर कर दिया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि यदि चंबल नदी में अवैध रेत खनन पर रोक लगती है तो इससे पर्यावरण के संरक्षण के साथ-साथ हादसों पर भी लगाम लगाई जा सकती है.
हादसों की टाइमलाइन
- आईपीएस नरेंद्र कुमार की हुई थी हत्या- 08 मार्च 2012 को IPS नरेन्द्र कुमार की माफिया द्वारा ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई. 2009 बैच के IPS नरेंद्र कुमार की हत्या 8 मार्च 2012 को ट्रक से कुचलकर कर दी गई थी. मुरैना में पोस्टिंग के बाद से आईपीएस नरेंद्र कुमार खनन माफियाओं के खिलाफ बेहद सख्त थे.
- 21 मार्च 2014 को देवरी घडियाल केन्द्र पर SAF और वन अमले पर फायरिंग कर रेत के ट्रैक्टर-ट्रॉली निकालकर ले गए.
- 31 मार्च 2014 को देवरी घडियाल केन्द्र पर SAF के हवलदार विश्वनाथ को माफिया ने गोली मार दी.
- 08 जून 2015 को हाइवे पर एसएएफ व वन विभाग की टीम पर हमला.
- 03 फरवरी 2016 को पिपरई में डंप रेत को उठाने गए अमले पर पथराव.
- 12 फरवरी 2016 को बरवासिन घाट पर जलीय जीवों की गणना करने गए वन अमले पर फायरिंग की गई.
- 03 मार्च 2016 को देवरी के पास हाइवे पर अधीक्षक, डिप्टी रेंजर, वन आरक्षक पर लाठी-डंडों से हमला किया गया.
- 07 मार्च 2016 को रेत माफिया ने वन आरक्षक नरेन्द्र शर्मा को ट्रैक्टर से कुचलकर मार दिया.
- 05 अप्रैल 2016 को धनेला रोड पर डंपर से कुचलकर पुलिस आरक्षक धर्मेन्द्र चौहान की हत्या कर दी गई.
- 09 मई को वन आरक्षक की मारपीट कर रेत से भरा ट्रॉली ले गए माफिया.
- 20 मई को माफिया ने हमला कर वन नाके से 12 ट्रैक्टर-ट्रॉली छुड़ा ले गए.
- 09 अगस्त को रेंजर, एसएएफ को घेरा,ट्रैक्टर-ट्रॉली छुड़ा ले गए माफिया.
- 15 सितंबर 2016 को बानमोर में पुलिस पर हमला हुआ.
- 18 सितंबर को रेत माफियाओं ने पुलिस पर पथराव किया.
27 मार्च 2017 को बरवासिन चंबल घाट पर पुलिस पर माफिया ने की फायरिंग. - 09 अप्रैल को रेत माफिया ने पुलिस टीम को खदेड़ा और हाथपाई की.
- 18 अप्रैल को अवैध खनन मामले में पकड़ा तो पुलिस टीम पर हमला किया.
- 22 मई को जब्त रेत उठाने गई वन विभाग की टीम पर हमला.
- 25 जून को रेत का ट्रैक्टर-ट्रॉली रोका तो माता बसैया थाना प्रभारी पर हमला.
- 15 फरवरी 2018 को वन नाके पर फायरिंग कर दो दर्जन रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली निकाले.
- 06 सितंबर 2018 में रेत माफिया से वन नाके पर टै्रक्टर से कुचलकर डिप्टी रेंजर की हत्या की.
- 28 फरवरी 2019 शिकारपुर फाटक पर वन अमले पर पथराव, वन आरक्षक घायल. तत्कालीन थाना प्रभारी सिविल लाइन थाना प्रभारी पर किया ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास.
- 09 नवंबर 2022 को बड़ोखर चौराहे पर रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली से कुचलकर नरेश (50) पुत्र रतीराम जाटव निवासी बड़ोखर की मौत.
- 2023 में रेत माफियाओं ने चार मजदूरों को कुचला, जिसमें एक की मौत हो गई और चार गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
- 13 दिसंबर 2024 को रेत माफिया ने एक बाइक सवार को कुचल दिया. मौके पर की मौत हो गई.
- 17 दिसंबर 2024 को घर के बाहर खेल रहे मासूम धनंजय तोमर को रेत माफिया ने कुचल दिया था
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NGT को क्यों ट्रांसफर किया केस?
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भारत में पर्यावरण से जुड़े मामलों के निपटान करने वाला विशेष निकाय है. इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण, वन, नदी और प्राकृतिक संसाधनों से जुड़े मामलों का जल्द से जल्द निपटारा करना है. राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत इसके पास सिविल न्यायालय की शक्ति हैं, जो पर्यावरण से जुड़े मामलों में स्वत: संज्ञान ले सकता है और दोषी पाए जाने पर जुर्माना भी लगा सकता है. इसमें की गई अपील का निपटारा 6 महीने के भीतर करना होता है.