Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महासमुंद एसपी को जारी किया अवमानना नोटिस, सेवा बहाली आदेश का पालन न करने पर तत्काल मांगा जवाब

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Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में एक बार फिर पुलिस विभाग (Police Department) की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। महासमुंद (Mahasamund) जिले में आरक्षक (Constable) पद से हटाए गए नरेन्द्र यादव (Narendra Yadav) को जब हाईकोर्ट (High Court) ने सेवा बहाली (Reinstatement) का आदेश दिया, तब भी पुलिस अधीक्षक (SP) आशुतोष सिंह (Ashutosh Singh) ने उसे लागू नहीं किया।

अब इस लापरवाही पर हाईकोर्ट ने महासमुंद एसपी को अवमानना नोटिस (Contempt Notice) जारी किया है और तत्काल जवाब मांगा है। नरेन्द्र यादव रायपुर (Raipur) के निवासी हैं और महासमुंद में आरक्षक के तौर पर तैनात थे। किसी कारणवश उन्हें सेवा से पृथक कर दिया गया था।

हाईकोर्ट ने 21 फरवरी को दिया था बहाली का आदेश

याचिकाकर्ता नरेंद्र यादव ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपनी सेवा बहाली के लिए याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 21 फरवरी 2025 को उनके पक्ष में फैसला सुनाया और पुलिस विभाग को 90 दिनों के भीतर जॉइनिंग देने के निर्देश दिए थे।

आदेश के बाद भी नहीं दी गई जॉइनिंग

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद तय समयसीमा बीत जाने के बाद भी महासमुंद पुलिस अधीक्षक ने नरेन्द्र यादव को ड्यूटी पर वापस नहीं लिया। इससे नाराज होकर नरेन्द्र ने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अवमानना याचिका (Contempt Petition) दायर की।

कोर्ट ने माना आदेश का पालन जरूरी

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय (Abhishek Pandey) और स्वाति कुमारी (Swati Kumari) ने कोर्ट में तर्क रखा कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन न कर नरेन्द्र यादव को मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।

अधिवक्ताओं ने कहा कि अवमानना अधिनियम (Contempt of Court Act) के तहत दोषी पाए जाने पर छह महीने तक की कैद या 2000 रुपये जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए महासमुंद एसपी को नोटिस जारी किया है और जल्द से जल्द जवाब मांगा है।

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