फरीदाबाद के धर्मबीर ने खेती छोड़ अपनाया मछली पालन का पेशा, रातों- रात किस्मत ने मारी पलटी
फरीदाबाद | ऐसा माना जाता है कि खेती आजकल मुनाफे का सौदा नहीं रही, क्योंकि इसमें मेहनत ज्यादा होती है और आमदनी कम होती है. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो खेती के अलावा अन्य विकल्पों पर भी ध्यान देते हैं और अच्छा खासा मुनाफा भी कमा लेते हैं. ऐसा ही कुछ हरियाणा के फरीदाबाद के एक किसान के साथ हुआ. यहां बिल्लौच गांव के एक किसान ने खेती का काम छोड़कर मछली पालन का काम शुरू कर दिया.
2 से 3 साल पहले तक वह खेती करते थे, लेकिन उससे फायदा नहीं हो रहा था. जब से इन्होंने खेती को छोड़कर मछली पालन का काम शुरू किया है तब से उनके वारे- न्यारे हो चुके हैं. आज वह अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं.
आया 50 लाख का खर्च
जिनकी हम बात कर रहे हैं उनका नाम धर्मवीर है. उन्होंने बताया कि करीब 3.5 एकड़ में उन्होंने मछली पालन का तालाब बनाया हुआ है. इस काम को करते हुए यह उनका तीसरा साल है. इससे पहले वह खेती करते थे, तो उससे ज्यादा फायदा नहीं हो रहा था. शुरुआत में जब उन्होंने मछली पालने का काम शुरू किया तो इस पर करीब 50 लाख रुपए से ज्यादा की लागत आ गई. मछलियों में कई प्रकार की वैरायटी होती है, लेकिन उन्होंने तालाब में फ़ंकास डाल रखी है जो कि अच्छी वैरायटी मानी जाती है.
एक बार में कमाते हैं 1 लाख रूपए तक
धर्मवीर ने बताया कि एक पैकेट में 10 से 12 हजार बीज तक आती हैं जिन्हें तालाब में डाल दिया जाता है. उनकी लागत ₹1 से ऊपर की पड़ जाती है और 6 से 7 महीने में मछलियां मंडी में ले जाने लायक हो जाती हैं. इससे उन्हें महीने भर में ₹50000 से ₹100000 तक का फायदा हो जाता है. इस काम को करने के लिए उन्होंने किसी मजदूर को नहीं रखा हुआ है. वह खुद ही इसका सारा काम करते हैं. मछलियों के बीमार होने पर वह अपने डॉक्टर भाई से सलाह ले लेते हैं.
सिंचाई में काम आता है तालाब का पानी
किसान धर्मवीर ने बताया कि समय- समय पर मछलियों के पानी को बदलना पड़ता है. जो पानी निकलता है उसे खेतों में छोड़ दिया जाता है जो सिंचाई के रूप में खाद का काम करता है. इसका उनकी फसलों को भी काफी फायदा होता है. एक बार मछली तैयार हो जाती है, तो उसे फरीदाबाद के सेक्टर 23 की मंडी में ले जाकर बेच दिया जाता है.