Nirjala Ekadashi के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, व्रत का पूरा फल पाने के लिए जानें सभी नियम

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Nirjala Ekadashi हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जो हर साल विशेष रूप से श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह व्रत पूरे साल की सबसे कठिन एकादशी मानी जाती है और इसे भीमसेनी एकादशी और बड़ी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। Nirjala Ekadashi का पालन करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

 इस व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। साल 2025 में Nirjala Ekadashi 6 जून को शुक्रवार के दिन पड़ रही है, और इस दिन के लिए कुछ विशेष नियम बताए गए हैं जिन्हें अगर ठीक से नहीं अपनाया गया, तो व्रत का फल निष्फल हो सकता है। तो आइए जानते हैं Nirjala Ekadashi के दिन किन बातों का ध्यान रखें और किस तरह की गलतियों से बचें, ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके।

Nirjala Ekadashi के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

झाड़ू-पोछा न करे

Nirjala Ekadashi के दिन घर में झाड़ू-पोछा करना मना है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन अगर आप झाड़ू या पोछा करते हैं तो आपको सूक्ष्म जीवों की हत्या का दोष लगता है, खासकर चींटियों का। इस दिन घर की सफाई एक दिन पहले ही कर लें, ताकि आपको इस दिन किसी भी प्रकार का झाड़ू-पोछा न करना पड़े। यह नियम खासतौर पर व्रत के उद्देश्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है, ताकि आपके व्रत का पुण्य नष्ट न हो।

ब्रश और दंतमंजन का प्रयोग न करें

Nirjala Ekadashi के दिन दांत साफ करने के लिए ब्रश और दंतमंजन का प्रयोग करना भी मना है। इन वस्तुओं में रसायन होते हैं जो आपके व्रत को बाधित कर सकते हैं। इस दिन दांत साफ करने के लिए गर्म पानी से कुल्ला करें या जामुन के पत्तों से दांत साफ करें। यह प्राकृतिक विधि आपके दांतों को भी साफ रखेगी और व्रत का पालन भी सही तरीके से होगा।

जल और अन्न का सेवन न करें

Nirjala Ekadashi का व्रत बहुत कठोर होता है, क्योंकि इस दिन जल और अन्न का सेवन करना मना है। यह दिन भगवान श्री हरि के ध्यान और भक्ति में लीन रहने का होता है। व्रत करने से आपकी आत्मा की शुद्धि होती है और आप भगवान के और करीब जाते हैं। इस दिन सिर्फ मंत्र जाप करें और भगवान श्री हरि के भजन गाएं। यदि आप इस दिन जल और अन्न का सेवन करते हैं, तो व्रत का फल अधूरा रह सकता है।

तुलसी को जल न चढ़ाएं

Nirjala Ekadashi के दिन तुलसी को जल अर्पित करना भी वर्ज्य है। क्योंकि इस दिन तुलसी भी व्रत करती हैं। यदि आप इस दिन तुलसी को जल चढ़ाते हैं, तो व्रत खंडित हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन न तो तुलसी के पौधे को छुएं, न उसे जल दें और न ही उसकी पत्तियां तोड़ें। यह एक महत्वपूर्ण नियम है जिसे निभाना चाहिए।

नमक, चावल और तामसिक भोजन से बचें

Nirjala Ekadashi के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। यह व्रत और बृहस्पति के फल को नष्ट कर सकता है। इसके अलावा, चावल खाना भी मना है, क्योंकि इसे खाने से अगले जन्म में कीड़े-मकोड़े के रूप में जन्म लेने का डर होता है। इसके अलावा, मसूर की दाल, बैंगन, प्याज, लहसुन, शलजम, मूली, गोभी और सेम जैसी तामसिक चीजों का सेवन भी इस दिन नहीं करना चाहिए। इस दिन के लिए शाकाहारी भोजन और हल्का भोजन ही उपयुक्त होता है।

मांस और मदिरा से दूर रहें

Nirjala Ekadashi के दिन मांस, मदिरा और तामसिक पदार्थों का सेवन करने से पूरी तरह बचना चाहिए। इन चीजों का सेवन शास्त्रों के अनुसार इस दिन निषिद्ध माना गया है। इस दिन केवल शाकाहारी और सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। मांस और मदिरा से दूर रहने से आपके व्रत का फल बढ़ता है और आपको आंतरिक शांति मिलती है।

बाल और नाखून न काटें

Nirjala Ekadashi के दिन बाल और नाखून काटने की भी मना की जाती है। यह दिन भगवान श्री हरि की पूजा और ध्यान के लिए है, इसलिए इस दिन शरीर की सफाई की बजाय मानसिक और आत्मिक शुद्धता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अगर आप बाल या नाखून काटते हैं, तो यह आपके व्रत के पुण्य को प्रभावित कर सकता है।

रातभर जागरण करें

Nirjala Ekadashi के दिन रातभर जागरण करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह दिन विशेष रूप से भजन-कीर्तन और ध्यान का होता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और व्रत का आरंभ करें। रात को जागकर श्री हरि के भजन गाएं और ध्यान करें। इस दिन सोने से व्रत का पुण्य अधूरा रह सकता है, इसलिए रातभर जागरण करना चाहिए।

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