Dussehra 2025: भारत में 7 ऐसे स्थान जहां रावण की होती है पूजा, पुतले का दहन नहीं

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दशहरा या विजयदशमी (Dussehra 2025) का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। हर साल शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ ही दशमी तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन प्रभु श्रीराम (Jai Shree Ram) की पूजा होती है और अधिकतर जगहों पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसे स्थान भी हैं, जहां रावण (Ravan temples in India) को जलाने की बजाय पूजा जाता है। आइए जानते हैं इन जगहों और उनके पीछे की कहानियां।

1. उत्तर प्रदेश – बिसरख

उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में रावण का मंदिर मौजूद है। यहां के लोग पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ रावण की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि बिसरख गांव रावण का ननिहाल था। इसलिए इस स्थान पर दशहरे के दिन पुतले का दहन नहीं किया जाता।

स्थापित है रावण की प्रतिमा

2. मध्य प्रदेश – मंदसौर

मंदसौर का पुराना नाम दशपुर था और यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका माना जाता है। इस वजह से मंदसौर को रावण का ससुराल कहा जाता है। परंपरा के अनुसार, यहां रावण का सम्मान किया जाता है और उसके पुतले का दहन नहीं किया जाता।

3. मध्य प्रदेश – रावनग्राम

रावनग्राम गांव में रावण को भगवान के रूप में पूजा जाता है। दशहरे के अवसर पर यहां रावण का विशालकाय मूर्ति स्थापित होती है। स्थानीय लोग पुतले का दहन करने के बजाय रावण की विधिपूर्वक पूजा करते हैं।

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4. राजस्थान – जोधपुर

जोधपुर में रावण का मंदिर स्थित है। यहां के कुछ विशेष समुदाय के लोग स्वयं को रावण का वंशज मानते हैं। इसलिए दशहरे पर रावण का दहन नहीं करते, बल्कि उसकी पूजा करते हैं।

5. आंध्र प्रदेश – काकिनाड

काकिनाड में रावण का मंदिर है। यहां लोग भगवान राम की शक्ति का सम्मान करते हुए भी रावण को शक्ति सम्राट मानते हैं। इस मंदिर में रावण के साथ भगवान शिव की पूजा भी होती है।

6. हिमाचल प्रदेश – कांगड़ा जिला

कांगड़ा जिले के एक कस्बे में रावण की पूजा की जाती है। मान्यता है कि रावण ने यहां भगवान शिव की तपस्या की थी और शिव प्रसन्न होकर उसे मोक्ष का वरदान दिया। स्थानीय लोग पुतले का दहन करने से डरते हैं, इसलिए पूजा को प्राथमिकता देते हैं।

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7. महाराष्ट्र – गढ़चिरौली

अमरावती के गढ़चिरौली क्षेत्र में आदिवासी समुदाय रावण का पूजन करता है। यह समुदाय रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानता है। इसलिए दशहरे पर यहां रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसकी विधिपूर्वक पूजा होती है।



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