जापानी नाशपाती की खेती से मालामाल हो रहे किसान, विदेशों तक सप्लाई; छप्परफाड़ हो रही कमाई
कुरूक्षेत्र | धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के लाडवा में स्थित इंडो इजराइल सब ट्रॉपिकल फ्रूट सेंटर में जापानी नाशपाती निजिसिकी चर्चाओं में बनी हुई है. इसके अनोखे स्वाद और गुणों के चलते बाजार में काफी डिमांड है लेकिन सप्लाई बहुत कम हो रही है. सेब और कीवी से कई गुना ज्यादा महंगी जापानी नाशपाती की कई किसान खेती कर रहे हैं और उन्हें अच्छा-खासा मुनाफा हो रहा है.
जापान की निजिसिकी नाशपाती
इंडो इजराइल सब ट्रॉपिकल फ्रूट सेंटर के विशेषज्ञ डॉक्टर धर्मपाल ने बताया कि 2014 में जब ये सेंटर यहां पर बनाया गया था, तो लुधियाना से इस जापानी नाशपाती की वैरायटी को यहां लाया गया था. उसके बाद ही, इसको यहां पर ट्रायल के लिए लगाया गया था और आज लगभग 10 साल के बाद ये पौधे अच्छा- खासा फल दे रहे हैं.
पोषण तत्वों से भरपूर
स्वाद में लाजवाब इस जापानी नाशपाती की बनावट सेब और चीकू जैसी ही है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है. नाशपाती की अन्य वैरायटी के मुकाबले इसमें मिठास कम होता है, जिसके चलते शुगर के मरीज भी इसको खा सकते हैं. इस नाशपाती के खाने से शरीर की इम्यूनिटी पावर मजबूत होती है. इन्हीं गुणों के चलते आज बाजार में इसकी काफी मांग हो रही है.
किसान भी तेजी से इस वैरायटी की तरफ रुख कर रहे हैं क्योंकि इसमें काफी अच्छा मुनाफा है. इसके पौधे एक बार खेत में लगाने पर 50 साल तक फल देते हैं. एक पौधे पर 50 किलोग्राम तक फल आता है और बाजार में इस नाशपाती की कीमत 500 रूपए प्रति किलो तक है. यानि एक एकड़ से 5 लाख रुपए तक आसानी से कमाया जा सकता है.
अपने विशेष गुणों और अलग स्वाद के चलते देश की बड़ी नामी कंपनी रिलायंस और मदर डेयरी इस नाशपाती को सीधे किसानों से खरीद रही है. बड़ी- बड़ी कंपनियां जापानी नाशपाती की डिमांड को देखते हुए सीधे किसानों से कॉन्ट्रैक्ट करने को तैयार बैठी है. साथ ही, विदेशों में भी इसे निर्यात किया जा रहा है.
दूसरे राज्यों से पौधे लेने आ रहे किसान
डॉक्टर धर्मपाल ने बताया कि इसकी डिमांड को देखते हुए हरियाणा के अलावा बाकी राज्यों के किसान भी इसके पौधे लेने के लिए उनके पास आ रहे हैं. UP के एक किसान ने बताया कि वो जापानी नाशपाती की वैरायटी के पौधे इसी सेंटर से लेकर गए थे. आज लगभग 5 साल बाद उन पौधों ने फल देना शुरू कर दिया है. वे अपनी नाशपाती को बिक्री के लिए चंडीगढ़ भेजते हैं. इसकी बिक्री से वह सालाना 5 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं.