Gurdeep Kaur Vasu Govt Job: इंदौर की गुरदीप कौर वासु बनीं मिसाल, देख, सुन और बोल नहीं पातीं, फिर भी हासिल की सरकारी जॉब

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हाइलाइट्स

  • इंदौर की गुरदीप कौर वासु बनीं मिसाल
  • देख, सुन और बोल नहीं पातीं गुरदीप
  • संघर्ष के दम पर पाई सरकारी नौकरी

रिपोर्ट – पीयूष पारे

Gurdeep Kaur Vasu Govt Job: वो न देख सकती हैं, न सुन सकती हैं, न ही बोल सकती हैं, लेकिन आज पूरे देश को बहुत कुछ दिखा, सुना और सिखा रही हैं। ये कहानी है इंदौर की गुरदीप कौर वासु की जो जिंदगी की हर कठिनाई को पार करके, संघर्ष की मिसाल और हौसले की पहचान बन गई हैं।

गुरदीप कौर वासु ने हासिल की सरकारी नौकरी

इंदौर की गुरदीप कौर वासु ने न सिर्फ लकीरों को बदला बल्कि इतिहास भी रच दिया है। 5 महीने की उम्र में जब ये पता चला कि गुरदीप कभी देख, सुन और बोल नहीं सकेंगी। तब मां मनजीत कौर ने ठान लिया था कि ये बच्ची रुकने के लिए नहीं, उड़ने के लिए पैदा हुई है। टैक्टाइल तकनीक, स्पर्श पद्धति और हौसले की वो जुबान जिसे कोई शब्द नहीं चाहिए था। गुरदीप ने दसवीं, बारहवीं पास की और अब वाणिज्यिक कर विभाग में सरकारी नौकरी कर रही हैं।

गुरदीप की मां को बेटी पर गर्व

गुरदीप की मां मनजीत कौर ने कहा कि हमारे लिए तो बहुत बड़ा चैलेंज था, लेकिन उसने कर दिखाया। वो आज जिस पोजिशन में पहुंची है वो हमने कभी जीवन में उसके लिए सोचा भी नहीं था। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ये सरकारी नौकरी में लगेगी।

Gurdeep Kaur Vasu Govt Job
ऑफिस में काम करती हुईं गुरदीप कौर वासु

आनंद सोसाइटी ने गुरदीप को दिए पंख

अपनी मेहनत और मुस्कान के साथ गुरदीप हर रोज अरमानों के आकाश में परवाज भर रही हैं। आनंद सोसाइटी ने गुरदीप को हौसलों के पंख दिए हैं जिनके दम पर वो लोगों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। आनंद सोसाइटी के संचालक ज्ञानेंद्र पुरोहित का कहना है कि स्पर्श लिपि जो अमेरिका में डेवलप हुई थी, उसका हमने एक संस्करण भारत में नया इसके हिसाब से तैयार किया जिससे ये पढ़ सके। इंडिया की सारी किताबें हिंदी मीडियम में होती हैं। गुरदीप ने 6वीं से 12वीं तक सारे सब्जेक्ट पढ़े।

सरकारी जॉब मिलने के बाद गुरदीप बहुत खुश

आनंद सोसायटी की मोनिका पुरोहित ने गुरदीप से स्पर्श पद्धति से बात करके बताया कि गुरदीप सरकारी जॉब लगने से बेहद खुश हैं। गुरदीप वक्त पर ऑफिस आती हैं और सलीके से काम करती हैं। उन्होंने बिना कुछ कहे पूरे ऑफिस का दिल जीत लिया है।

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वाणिज्यिक कर विभाग के कमिश्नर दीपक सिंह ने की तारीफ

वाणिज्यिक कर विभाग के कमिश्नर दीपक सिंह ने कहा कि दिव्यांग बच्ची ने अपनी लगन और मेहनत से शासकीय सेवा में चयन की उपलब्धि पाई है। ये प्रशंसनीय बात है कि उन्होंने दिव्यांगता के बावजूद अपनी पढ़ाई और मेहनत से शासकीय सेवा में स्थान पाया है।

‘मुश्किलें शरीर में नहीं, सोच में होती है’

गुरदीप हर दिन अपने मौन से एक नई भाषा रच रही हैं। वो प्रेरणा बनने के साथ ही समाज को आईना भी दिखा रही हैं कि मुश्किलें शरीर में नहीं, सोच में होती हैं। गुरदीप ने उन लोगों को भी संदेश दिया है जो उनको कमतर समझते थे।

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