यहां फूल नहीं, ताले चढ़ते हैं भोलेनाथ को, जानिए प्रयागराज के ताले वाले महादेव का रहस्य
भारत की धार्मिक परंपराएं अपने आप में अद्भुत हैं। अमूमन मंदिरों में भक्त भगवान को फूल, माला, अगरबत्ती और मिठाई चढ़ाते हैं। कई बार लोग वस्त्र, तेल या घंटी जैसी चीजें भी चढ़ाते देखे जाते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां भक्त पूजा-पाठ के बाद भगवान शिव को मन्नत पूरी करने के लिए ताला चढ़ाते हैं। यह परंपरा सिर्फ चौंकाती ही नहीं, बल्कि लोगों की गहरी आस्था को भी दर्शाती है।
संगम की नगरी में स्थित है यह अनोखा मंदिर
प्रयागराज के मुट्ठीगंज इलाके में स्थित इस मंदिर को “ताले वाले महादेव” के नाम से जाना जाता है। नाथेश्वर महादेव मंदिर, जहां पहुंचते ही भक्तों को आत्मिक शांति का अनुभव होता है। मंदिर परिसर में टंगे लाखों ताले इस बात का प्रमाण हैं कि यहां पर मन्नतें सिर्फ मांगी नहीं जातीं, पूरी भी होती हैं। भक्त शिवलिंग की पूजा करते हैं और फिर अपनी मन्नत का ताला मंदिर परिसर के ग्रिल या दरवाजे पर लगाते हैं। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही श्रद्धा से निभाई जाती है।
मन्नतों की चाबी बन गया है यह मंदिर
यहां मंदिर की खिड़कियों, दरवाजों और ग्रिल पर हजारों की संख्या में ताले लटके हुए दिखते हैं। कई श्रद्धालु ताला लगाते वक्त निशान भी बना देते हैं, ताकि उन्हें पहचानने में आसानी हो। ऐसा कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से यहां ताला लगाकर मन्नत मांगता है, उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है। जब वह मन्नत पूरी होती है, तो लोग दोबारा मंदिर आकर न सिर्फ महादेव का धन्यवाद करते हैं, बल्कि खुशी-खुशी ताला खोलकर उत्सव जैसा माहौल बना देते हैं। लोगों का मानना है कि यहां अगरबत्ती जलाकर, भगवान शिव का ध्यान करने पर दिव्य ऊर्जा का अनुभव होता है।
सावन में भर जाती है भक्ति की बयार
करीब 500 साल पुराने इस मंदिर में हर सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन सावन के महीने में तो इस मंदिर की रौनक ही कुछ और होती है। लोग दूर-दराज से पैदल यात्रा कर आते हैं और शिवलिंग का रुद्राभिषेक करते हैं। यहां आने वाले हर भक्त की आंखों में विश्वास की चमक और चेहरे पर तसल्ली दिखाई देती है। मंदिर का वातावरण सावन में भक्ति और उमंग से भर जाता है।