MP Reservation Promotion: HC में हुई प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुनवाई, सरकार के जवाब को याचिकाकर्ताओं ने बताया अधूरा

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हाइलाइट्स

  • मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई

  • सरकार ने पुरानी और नई प्रमोशन पॉलिसी का तुलनात्मक चार्ट पेश किया

  • HC ने पूछा कि आरक्षण का आधार आबादी या सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व

MP Reservation Promotion Case: मध्यप्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण (promotion in reservation) के मुद्दे पर गुरुवार (09 सितंबर) को हाईकोर्ट (High Court Jabalpur) में अहम सुनवाई हुई। राज्य सरकार ने अदालत में पुरानी और नई प्रमोशन पॉलिसी (promotion policy) का तुलनात्मक चार्ट पेश किया, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने अधूरा जवाब देने का आरोप लगाया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।

सरकार ने पेश किया चार्ट, कोर्ट ने उठाए सवाल

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि नई नीति में वर्गवार आंकड़े (category-wise data) दिए गए हैं और यह पुरानी पॉलिसी से अलग है। हालांकि कोर्ट ने सवाल उठाया कि प्रमोशन में आरक्षण देने का आधार क्या है, आबादी या सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व (representation in jobs)। इसके साथ ही अदालत ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या नई पॉलिसी में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है।

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याचिकाकर्ताओं ने अधूरा जवाब देने का लगाया आरोप

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सरकार ने क्रीमी लेयर और क्वांटिफायबल डेटा (quantifiable data) पर कोई जवाब नहीं दिया है। अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने दलील दी कि वर्ष 2002 के नियमों को हाईकोर्ट पहले ही समाप्त कर चुका है। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जहां फिलहाल मामला लंबित है। बावजूद इसके, सरकार ने केवल नाममात्र बदलाव कर वही नियम दोबारा लागू कर दिए।

पूर्व एडिशनल अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल करेंगे सरकार की पैरवी

मंगलवार को सरकार की ओर से पूर्व एडिशनल अटॉर्नी जनरल सीएस वैद्यनाथन पैरवी में शामिल हुए। दरअसल इस मामले में पैरवी पूर्व एडिशनल अटॉर्नी जनरल सीएस वैद्यनाथन और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता करेंगे। आज हुई सुनवाई में सरकार ने नई प्रमोशन पॉलिसी लागू करने की अंतरिम राहत देने की मांग की गई है। फिलहाल कोर्ट के निर्देश और अंडरटेकिंग के चलते नई पॉलिसी का क्रियान्वयन रुका हुआ है।

गौरतलब है कि इस मामले की 9 जुलाई को हुई विगत सुनवाई में हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने अंडरटेकिंग दी थी कि अगली सुनवाई तक उक्त पॉलिसी के तहत किसी को प्रमोशन नहीं दिए जाएंगे।

अगली सुनवाई 16 सितंबर को

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने कहा कि अब अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी। इस दौरान अंतरिम राहत पर फैसला लिया जा सकता है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि विस्तृत जवाब पेश किया जाए और यह स्पष्ट किया जाए कि नई नीति सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप है या नहीं।

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