जबलपुर GST रिश्वत कांड: सेंट्रल जीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर-इंस्पेक्टर कोर्ट में पेश, 4 दिन की रिमांड, 4 लाख रिश्वत लेते CBI ने पकड़ा था
Jabalpur CBI GST Raid Case: मध्यप्रदेश के जबलपुर में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) ने सेंट्रल जीएसटी (Central GST) विभाग में पदस्थ रहे एक इंस्पेक्टर को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई पूरी तरह फिल्मी अंदाज में हुई, जहां CBI की टीम ने करीब 6 किलोमीटर तक पीछा कर इंस्पेक्टर को दबोचा। इस मामले में असिस्टेंट कमिश्नर विवेक शर्मा को भी गिरफ्तार किया गया है, जबकि एक अन्य अधिकारी फरार बताया जा रहा है।
बुधवार (17 दिसंबर) रात दोनों अधिकारियों को गिरफ्तार करने के बाद CBI ने गुरुवार (18 दिसंबर) को उन्हें कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 22 दिसंबर तक CBI रिमांड पर भेज दिया है, ताकि पूरे मामले की गहराई से जांच की जा सके।
फिल्मी अंदाज में 6 किलोमीटर तक किया पीछा
CBI ने सेंट्रल जीएसटी में पदस्थ इंस्पेक्टर सचिनकांत खरे को 4 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। बताया गया कि जैसे ही आरोपी इंस्पेक्टर ने रिश्वत की रकम अपनी टू-व्हीलर की डिक्की में रखी और वहां से निकलने की कोशिश की, CBI की टीम मौके पर पहुंच गई। अधिकारियों को देखते ही सचिनकांत खरे मौके से फरार हो गया। इसके बाद CBI ने उसका लगातार पीछा किया। वह राइट टाउन से मदन महल स्टेशन होते हुए छोटी लाइन, रामपुर और फिर ग्वारी घाट तक पहुंचा, जहां CBI ने घेराबंदी कर उसे पकड़ लिया। मौके पर ही उसके हाथ धुलवाकर रिश्वत लेने की पुष्टि की गई।
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पूछताछ में सामने आए बड़े नाम
CBI की पूछताछ के दौरान सचिनकांत खरे ने सेंट्रल जीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर विवेक वर्मा और कार्यालय अधीक्षक मुकेश बर्मन का नाम भी लिया। इसके बाद CBI ने असिस्टेंट कमिश्नर विवेक वर्मा को सेंट्रल जीएसटी कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया। वहीं कार्यालय अधीक्षक मुकेश बर्मन अब तक फरार है और उसकी तलाश जारी है।
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असिस्टेंट कमिश्नर पर मास्टरमाइंड होने का आरोप
CBI सूत्रों के अनुसार, इस पूरे मामले में असिस्टेंट कमिश्नर विवेक वर्मा को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। शिकायतकर्ता होटल व्यवसायी विवेक त्रिपाठी ने CBI को बताया कि बीते दो महीनों से सेंट्रल जीएसटी के तीनों अधिकारी उन्हें लगातार परेशान कर रहे थे। अधिकारियों की ओर से कहा जा रहा था कि उनके ऊपर एक करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी बकाया है और अगर अपील भी की गई तो 30 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके बदले 10 लाख रुपये देकर मामला निपटाने का दबाव बनाया जा रहा था।
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शिकायत के बाद बिछाया गया जाल
होटल व्यवसायी विवेक त्रिपाठी ने इस पूरे मामले की शिकायत CBI के एसपी (SP) से की थी। इसके बाद CBI ने पूरी योजना बनाकर जाल बिछाया। रिश्वत की पहली किस्त के तौर पर 4 लाख रुपये देने की योजना बनाई गई। जैसे ही व्यापारी के कर्मचारी ने राइट टाउन इलाके में इंस्पेक्टर सचिनकांत खरे को पैसे सौंपे, CBI ने कार्रवाई शुरू कर दी।
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क्या है पूरा मामला
इस कार्रवाई की जड़ में जबलपुर के एक होटल व्यवसायी पर निकाली गई लगभग एक करोड़ रुपये की जीएसटी रिकवरी है। इस भारी भरकम रिकवरी को रफा-दफा करने और फाइल सेटल (File Settle) करने के बदले अधिकारियों ने 10 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। पहली किस्त लेते समय CBI ने इंस्पेक्टर को रंगे हाथों पकड़ लिया।
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