बीएचयू में सज रहा ‘मिनी बंगाल’, मधुबन पार्क में गूंजेगी दुर्गोत्सव की भव्यता

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वाराणसी। नवरात्रि का आगाज़ होते ही काशी की गलियां, चौक-चौराहे और मोहल्ले मां दुर्गा की भक्ति में रंगने लगे हैं। शहर से लेकर गांव तक पंडाल सजाने की तैयारियां तेज़ हो चुकी हैं। कहीं टेंट और तंबू लगाकर पंडाल को आकार दिया जा रहा है तो कहीं मूर्तियों को अंतिम रूप देने में कलाकार जुटे हैं। धीरे-धीरे काशी अब ‘मिनी बंगाल’ की झलक दिखाने लगा है।

दरअसल, कोलकाता के बाहर सबसे अधिक बंगभाषियों की संख्या अगर किसी शहर में है तो वह काशी है। यही कारण है कि यहां का बंगाली टोला और पक्के महाल की गलियां वर्षों से बंगाल की सांस्कृतिक परंपराओं का अहसास कराती रही हैं। दुर्गोत्सव, दीपावली की काली और महालक्ष्मी पूजा से लेकर वसंत पंचमी के सरस्वती पूजन तक, बंगाल की मातृ-उपासना के संस्कार काशी की धरती पर पूरी भव्यता से दिखते हैं।

इसी क्रम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित मधुबन पार्क में इस वर्ष भी भव्य दुर्गा पूजा पंडाल का निर्माण जोरों पर है। करीब दो सप्ताह से बंगाल से आए हुए कलाकार पंडाल को सजाने-संवारने में जुटे हुए हैं। रात-दिन की मेहनत से यह पंडाल नवरात्र से पहले पूरी तरह तैयार हो जाएगा।

यहां माता दुर्गा की भव्य प्रतिमा विराजमान होगी और तीन दिनों तक विशेष पूजन, अर्चन और आरती के साथ माहौल भक्तिमय रहेगा। पंडाल के पास ही छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। विश्वविद्यालय के अध्यापक, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं मिलकर इस आयोजन को जीवंत बनाते हैं।

बीएचयू में यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जहां हर साल माता दुर्गा का भव्य रूप देखने को मिलता है। इस आयोजन का जिम्मा विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के हाथों में होता है। बंगाल से आए कलाकारों की कला और समर्पण इस पंडाल को अद्वितीय स्वरूप प्रदान कर रहे हैं, जिससे इस बार भी काशी में दुर्गोत्सव का रंग और अधिक निखरेगा।

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