MP Collector Case: अपर कलेक्टर पर विधवा महिला की जमीन हड़पने का आरोप, पत्नी के नाम कराई जमीन, पीड़िता ने सीएम ने लगाई गुहार

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हाइलाइट्स 

  • अपर कलेक्टर पर जमीन हड़पने का आरोप
  • आदिवासी महिला ने लगाई न्याय की गुहार
  • कलेक्टर बोले—मामला पुराना, कार्रवाई मुश्किल

MP Collector Case: मध्यप्रदेश के देवास से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें अपर कलेक्टर पर विधवा महिला ने जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं इस विधवा महिला की जमीन अपर कलेक्टर ने अपनी पत्नी के नाम करवा ली है। अब विधवा महिला ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से जमीन दिलाने की गुहार लगाई है।

जानकारी के मुताबिक, पवित्रा बाई सिसोदिया- एक आदिवासी विधवा महिला, जिसने अपने पति के गुजर जाने के बाद दो बेटों के साथ खेतों में पसीना बहाकर परिवार चलाया, लेकिन जिस मिट्टी से उनके बच्चों का पेट पलता था, उसी जमीन को प्रशासनिक ताकत और फर्जी दस्तावेजों की साजिशकर उससे छीन लिया गया।

MP Collector Case: अपर कलेक्टर पर विधवा महिला की जमीन हड़पने का आरोप, पत्नी के नाम कराई जमीन, पीड़िता ने सीएम ने लगाई गुहार
जमीन की रजिस्ट्री फर्जी पवित्रा बाई के नाम से करवा दी गई।

अपर कलेक्टर ने 32 बीघा जमीन पत्नी के नाम पर करवा ली

विधवा पवित्रा बाई का आरोप है कि कि देवास के वर्तमान अपर कलेक्टर शोभाराम सिंह सोलंकी ने साल 2023 में बागली के SDM पद पर रहते पद का दुरुपयोग किया और आदिवासी पवित्रा बाई और उनके बेटों मनीष व रोहित सिसोदिया की 32 बीघा जमीन अपनी पत्नी कमलाबाई सोलंकी के नाम पर दर्ज करवा ली।

जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद से ही लगातार पवित्राबाई पुलिस थाने और कलेक्टर ऑफिस के चक्कर लगा रही है, लेकिन अब तक उसकी कहीं सुनवाई नहीं हुई है। देवास कलेक्टर भी मामले को पुराना बताकर टालने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि मीडिया में आई खबरों में कलेक्टर ऋतुराज का कहना है रजिस्ट्री होने के तीन साल बाद कोई खड़ा हो जाए तो उसमें क्या कर सकते हैं। उधर, पीड़िता पवित्रताबाई का कहना है कि 2023 में ही उसने मामले की शिकायत कर दी थी

पवित्रा बाई का दर्द भरा बयान

पवित्राबाई अपने बेटे के साथ वो दस्तावेज भी दिखाती भटक रहीं हैं जिसमें उन्होंने लिखा है अपर कलेक्टर शोभाराम सिंह सोलंकी ने “हमारे नाम की रजिस्ट्री किसी और के नाम से कर दी, फोटो भी किसी दूसरी औरत की लगा दी। हमने खेती करने की कोशिश की तो हमें रोक दिया गया। अब हमारा सहारा सिर्फ मुख्यमंत्री मोहन यादव हैं, क्योंकि सिस्टम ने तो हमें रौंद दिया।

रजिस्ट्री में जालसाजी

फोरी जांच में सामने आया कि रजिस्ट्री में लगी फोटो पवित्रा बाई की नहीं, बल्कि किसी दूसरी महिला की है। यानी, किसी और को “पवित्रा बाई” बताकर प्रक्रिया पूरी कर दी गई।
सूत्र बताते हैं, तहसीलदार और रजिस्ट्रार की मिलीभगत से यह जमीन कमलाबाई सोलंकी के नाम ट्रांसफर कर दी गई। आदिवासी पवित्रा बाई को इस बात की खबर तब लगी जब वे अपनी जमीन पर पहुंचीं और उन्हें खेती करने से रोक दिया गया।

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