MP High Court Bank of Baroda Notice: MSME कंपनी की 70 करोड़ की प्रॉपर्टी को 6 करोड़ में नीलाम कर रहा था बैंक, HC का केंद्र सरकार, बैंक ऑफ बड़ौदा को नोटिस

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हाइलाइट्स

  • मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का बैंक ऑफ बड़ौदा को नोटिस
  • करोड़ों की संपत्ति कम दाम में नीलाम करने का केस
  • EOW करेगी पूरे मामले की जांच

MP High Court Bank of Baroda Notice: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बैंक ऑफ बड़ौदा को एक MSME (लघु एवं मध्यम उद्यम) कंपनी नर्मदा फॉरेस्ट प्राइवेट लिमिटेड की करोड़ों की संपत्ति कम दाम में नीलाम करने के मामले में नोटिस जारी किया है। MP हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बैंक की कार्यवाही पर सवाल उठाए हैं और फिलहाल नीलामी पर रोक लगा दी है।

70 करोड़ की संपत्ति सिर्फ 6 करोड़ में बेची

याचिकाकर्ता का कहना है कि कंपनी की कुल संपत्ति करीब 70 करोड़ रुपये की थी, जिसे बैंक ने सिर्फ 6.42 करोड़ रुपये में नीलाम कर दिया। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस कार्यवाही को बैंकिंग धोखाधड़ी की श्रेणी में रखा है।

bank of baroda mp high court case

बिना मौका दिए की गई नीलामी

केंद्र सरकार और RBI के नियमों के अनुसार अगर किसी MSME कंपनी का बैंक लोन डिफॉल्ट होता है, तो पहले उसे पुनः वित्तीय व्यवस्था (फाइनेंशियल रीस्ट्रक्चरिंग) का मौका देना जरूरी है। लेकिन इस मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा ने ये मौका दिए बिना ही कंपनी की संपत्ति नीलाम कर दी।

संविधान के अधिकारों का उल्लंघन

Senior Advocate Vivek Ranjan Pandey bob caseSenior Advocate Vivek Ranjan Pandey bob case

याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट विवेक रंजन पाण्डेय ने हाईकोर्ट में दलील दी कि बिना पुनः वित्तीय व्यवस्था (फाइनेंशियल रीस्ट्रक्चरिंग) का मौका दिए सरफेसी एक्ट धारा 13 के तहत इस तरह से संपत्ति की नीलामी करना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (स्वतंत्रता का अधिकार), 21 (जीवन का अधिकार) और 300 A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन है। ये असंवैधानिक और गैर कानूनी है।

EOW करेगी पूरी मामले की जांच

इस केस में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) को भी नोटिस दिया गया है ताकि जांच हो सके।

हाईकोर्ट ने नीलामी और वसूली रोकी

केंद्र सरकार के गजट नोटिफिकेशन में MSME एक्ट की धारा 9 के तहत कंपनियों के पुन:संरचना की बाध्यकारी निर्देशों को नोटीफाई किया गया है। इसलिए सरफेसी एक्ट की धारा 13 असंवैधानिक है। सीनियर एडवोकेट विवेक रंजन पाण्डेय के तर्कों से सहमत होकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, बैंक ऑफ बड़ौदा और EOW को नोटिस जारी किया है। साथ ही नीलामी प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाते हुए बैंक के वसूली आदेशों पर भी रोक लगाई है।

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