MP Labour Department Training Scam: कौशल प्रशिक्षण योजना में करोड़ों की गड़बड़ी, मुख्य सचिव तक पहुंची शिकायत

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हाइलाइट्स

  • मप्र स्किल ट्रेनिंग योजना में भ्रष्टाचार उजागर

  • श्रमिकों को नहीं मिला योजना का लाभ

  • 48 करोड़ का भुगतान एजेंसियों को हुआ

MP Labour Department Training Scam: मध्यप्रदेश श्रम विभाग (Labour Department) के अधीन आने वाले मप्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल की कौशल प्रशिक्षण योजना (Skill Development Scheme) में बड़े स्तर पर गड़बड़ियों का मामला सामने आया है। प्रशिक्षण के नाम पर हुई अनियमितताओं से जुड़े दस्तावेज अब मुख्य सचिव डॉ. अनुराग जैन तक पहुंच गए हैं। विभाग के सचिव को भी इस भ्रष्टाचार की जानकारी दी गई है। आरोप है कि ट्रेनिंग के नाम पर श्रमिकों के लिए जारी बजट की बंदरबांट अधिकारियों और निजी संस्थाओं के बीच कर दी गई।

एजेंसियों को हुआ 48 करोड़ का भुगतान।

ट्रेनिंग योजना में नहीं मिला श्रमिकों को लाभ

भवन एवं अन्य संनिर्माण और असंगठित श्रमिक संघ (INTUC) के महामंत्री अशोक गोस्वामी ने बताया कि इस योजना में पंजीकृत श्रमिक और उनके आश्रितों को किसी प्रकार का लाभ नहीं मिल पाया। फायदा सिर्फ विभागीय अधिकारियों और ट्रेनिंग देने वाली एजेंसियों को हुआ। ग्वालियर-चंबल, उज्जैन-मंदसौर और सागर संभाग के श्रम कार्यालयों में तत्कालीन अधिकारियों ने बजट का मनमाना उपयोग किया। गोस्वामी ने मंडल के सचिव की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए और इसे श्रमिकों के अधिकारों से खिलवाड़ बताया।

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आरटीआई में खुलासा, 48 करोड़ का भुगतान

सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी में सामने आया है कि कौशल प्रशिक्षण योजना के नाम पर श्रम विभाग ने निजी एजेंसियों को करीब 48 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। यह पैसा उन युवाओं और श्रमिकों की ट्रेनिंग के लिए दिया गया था, जिन्हें रोजगार से जोड़ने का दावा किया गया था। लेकिन जांच में पता चला कि न तो ट्रेनिंग देने वाली संस्थाओं के पास इसके सबूत मौजूद हैं और न ही युवाओं के पास कोई सर्टिफिकेट है। यही नहीं, कई लाभार्थियों को तो याद तक नहीं कि उन्होंने कभी कोई प्रशिक्षण लिया हो।

जांच रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ

श्रम विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट में यह साफ हुआ है कि 2015 से 2022 के बीच कौशल विकास प्रशिक्षण (Skill Development Training) के नाम पर करोड़ों का भुगतान कर दिया गया। कई ऐसे ट्रेड (Trade) बताए गए जिनमें ट्रेनिंग दी गई, लेकिन जिन लोगों के नाम दर्ज थे वे उन क्षेत्रों से जुड़े ही नहीं थे। जांच में यह भी सामने आया कि मंडल ने बिना पुख्ता दस्तावेजों और प्रूफ (Proof) के भुगतान जारी कर दिया। इससे यह साफ हो गया कि योजना का असली फायदा न तो श्रमिकों को मिला और न ही युवाओं को, बल्कि इसका लाभ सिर्फ भ्रष्टाचार की परतों में उलझा रहा।

AI Generated Photo

मध्यप्रदेश में कौशल प्रशिक्षण योजना (Skill Development Scheme) के तहत स्किल डेवेलपमेंट ट्रेनिंग के नाम पर करोड़ो का गबन किया गया। हाल ही में श्रम विभाग से सूचना के अधिकार के तहत निकाली गई‌ जानकारी से खुलासा हुआ है कि युवाओं को रोजगार के लिए स्कूल ट्रेनिंग के नाम पर निजी एजेंसियों से मिलीभगत कर 48 करोड़ का भुगतान कर दिया गया। लेकिन न ही ट्रेंनिंग देने वालों के पास इसे लेकर कोई प्रूफ है और न ही इसमें शामिल होने वाले युवाओं के पास कोई सर्टिफिकेट। कमाल की बात यह है कि श्रम विभाग के अधीनस्थ मप्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें।

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