MP News: मुफ्त कोचिंग के नाम पर सुपर-100 योजना में फर्जीवाड़ा, RTI से हुआ खुलासा, नियम के विरूद्ध जारी किए गए टेंडर
MP News: आरटीआई एक्टिविस्ट सौरभ गुप्ता ने कहा कि टेंडर के लिए कंपनी को 5 साल होना चाहिए. जबकि एलन करियर इंस्टीट्यट को पांच साल नहीं हुए थे. एलन इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड 02 फरवरी 2022 में नई कंपनी बनी
MP News: मध्य प्रदेश में सुपर-100 के नाम पर करोड़ों की राशि का घोटाला सामने आया है. जिसमें कोचिंग की तरफ से बच्चों को पहले मुफ्त में शिक्षा देने की बात कही गई थी. लोक शिक्षण संचालनालय ने (डीपीआई) ने नियम विरूद्ध करोड़ो की राशि का भुगतान किया. 9 सदस्यीय कमेटी ने नए सत्र के लिए कोचिंग को नियमों के विरूद्ध जाकर टेंडर भी जारी किए थे. इसको लेकर अब डीपीआई के अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है. आरटीआई एक्टिविस्ट सौरभ गुप्ता ने फर्जीवाड़े को उजागर किया है.
नियम के विरूद्ध जारी किए टेंडर
सुपर 100 योजना के तहत बच्चों को मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित उच्च शिक्षा के लिए मु्फ्त में शिक्षा दी जाती है. RTI एक्टिविस्ट सौरभ गुप्ता ने फर्जीवाड़े को उजागर किया है. मुफ्त कोचिंग के लिए एलन करियर इंस्टीट्यूट ने पहल की थी. एलन कोचिंग संस्थान ने 2018-19 और साल 2019-20 में एक सत्र में फ्री शिक्षा दी. इसके बाद में कोचिंग इंस्टीट्यूट ने 2021-22 के बीच सत्र में फ्री में पढ़ाने से इनकार कर दिया.
संस्थान ने मुफ्त में कोचिंग देने को लेकर प्रस्ताव दिया था. डीपीआई ने भी नियम विरूद्ध जाकर संस्थान को एक करोड़ का भुगतान कर दिया. साल 2022-23 में नए सत्र के लिए टेंडर निकाला. एलन ने प्राइवेट लिमिटेड के नाम से टेंडर में पार्टिसिपेट किया. एलन इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से वर्क ऑर्डर जारी भी किया गया. कंपनी को नियमों के विरूद्ध जाकर टेंडर जारी किया.
संदेह के घेरे में DPI अधिकारी
आरटीआई एक्टिविस्ट सौरभ गुप्ता ने कहा कि टेंडर के लिए कंपनी को 5 साल होना चाहिए. जबकि एलन करियर इंस्टीट्यट को पांच साल नहीं हुए थे. एलन इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड 02 फरवरी 2022 में नई कंपनी बनी. नाम बदलकर गुमास्ता फर्जी तरीके से बनाया गया. सवाल यही है कि 25फरवरी 2021 को गुमास्ता बनकर कैसे तैयार हुआ? कंपनी बाद में रजिस्टर्ड हुई और गुमास्ता पहले ही बनकर तैयार हो गया. कंपनी को नियम विरूद्ध पहले तीन करोड़ का भुगतान किया गया. फिर उसकी के साथ ही अगले सत्र के 2 करोड़ का और भुगतान किया गया.
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डीपीआई के अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है. ऐसे में सवाल यही है कि अधिकारियों ने इसी कंपनी को क्यों चुना? चार से पांच कंपनियों को कमी दिखाकर बाहर कर दिया. एलन को पात्र ना होने के बाद भी टेंडर जारी किया गया है. टेंडर की प्रक्रिया में 9 लोग शामिल होते हैं. दो संचालक,अपर संचालक संयुक्त संचालक,वरिष्ठ कंसल्टेंट,कंसल्टेंट विधि,ओएसडी भी शामिल हैं. सारी कंपनियों को बाहर कर एलन को ही टेंडर क्यों दिया गया.
‘जानकारी जुटाई जा रही है’
जिला शिक्षा अधिकारी एनके अहिरवार का कहना है कि इन सबकी जानकारी जुटाई जा रही है. टेंडर कैसे हुआ? कब हुआ? हालांकि ये डीपीआई का मामला है.