Nagchandreshwar Mandir: नाग पंचमी पर साल में एक बार खुलते हैं मंदिर के कपाट, दर्शन मात्र से खत्म हो जाता है कालसर्प दोष!

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Nagchandreshwar Mandir: भगवान शिव ने तपस्या से प्रसन्न होकर तक्षक को अमर होने का वरदान दिया था. इसके बाद तक्षक नाग भगवान महाकाल के पास वास करने लगे. इसके साथ ही उन्होंने एकांत में रहने की इच्छा जाहिर की. इसी कारण से साल में एक बार नाग पंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं

उज्जैन: नागचंद्रेश्वर मंदिर, साल में एक बार नाग पंचमी में खुलता है मंदिर

Nagchandreshwar Mandir: हिंदू मान्यता के अनुसार हर जीव में भगवान का वास माना जाता है. इसी कारण गाय से लेकर नाग तक की पूजा की जाती है. भगवान शिव ने नाग को आभूषण की तरह धारण भी किया है. नाग पंचमी त्योहार मनाया जाता है, जो नागों को समर्पित है. मंदिरों की बात करें तो प्रदेश और देश में कई मंदिर हैं जिनमें मुख्य मूर्ति नाग है लेकिन उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जिसके कपाट केवल नाग पंचमी के दिन खुलते हैं.

महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष पर स्थित है

महाकालेश्वर मंदिर, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इस मंदिर के ऊपर एक मंदिर है जिसे ओंकारेश्वर मंदिर कहा जाता है. इन दोनों मंदिरों के शीर्ष पर यानी सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर मंदिर है. इस मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा है. ये 11वीं शताब्दी की बताई जाती है. नागचंद्रेश्वर मंदिर की सबसे अनोखी बात ये है कि यहां भगवान शिव पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं और नाग फन फैलाए हुए है.

तक्षक नाग की वजह से एक बार खुलते हैं कपाट

एक बार तक्षक नाग ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी. भगवान शिव ने तपस्या से प्रसन्न होकर तक्षक को अमर होने का वरदान दिया था. इसके बाद तक्षक नाग भगवान महाकाल के पास वास करने लगे. इसके साथ ही उन्होंने एकांत में रहने की इच्छा जाहिर की. इसी कारण से साल में एक बार नाग पंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं.

इस बार कब खुलेंगे कपाट?

इस साल यानी 2025 में नागपंचमी 29 जुलाई को मनाई जाएगी. ये कपाट 24 घंटे खुले रहेंगे. 30 जुलाई की रात 12 बजे तक खुलेंगे, इसके बाद कपाट बंद कर दिए जाएंगे. इस दौरान मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. दुर्लभ दर्शन पाने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि दर्शन मात्र से कालसर्प दोष नष्ट हो जाता है.

11वीं शताब्दी किया था निर्माण

नागचंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था. साल 1732 में रानोजी सिंधिया ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था. इस मंदिर स्थापित प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि इसे नेपाल से लाया गया है.

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