Rajasthan: OMR शीट पर हस्ताक्षर कॉलम गायब, संविदा कनिष्ठ तकनीकी सहायक परीक्षा को बेनीवाल ने बताया चीटिंग मॉडल

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जयपुर। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा रविवार को आयोजित की गई संविदा कनिष्ठ तकनीकी सहायक भर्ती परीक्षा एक बड़ी चूक के कारण विवादों में घिर गई है। परीक्षा में वितरित ओएमआर शीट पर परीक्षार्थी और वीक्षक के हस्ताक्षर के लिए कॉलम ही नहीं था, जिसे लेकर न केवल अभ्यर्थी चिंतित हैं, बल्कि अब यह मामला राजनीतिक तूल पकड़ चुका है।

परीक्षा को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस खामी को गंभीर मानते हुए भर्ती परीक्षा को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह चूक किसी साधारण गलती का परिणाम नहीं बल्कि एक सुनियोजित चीटिंग मॉडल हो सकता है, जिससे ओएमआर शीट में फर्जीवाड़ा किया जा सकता है। शहीद स्मारक पर मीडिया से बातचीत में बेनीवाल ने कहा कि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता के लिए ओएमआर शीट पर परीक्षार्थी और वीक्षक के हस्ताक्षर अनिवार्य होते हैं, ताकि बाद में कोई भी शीट बदलने जैसी गड़बड़ी न हो सके लेकिन इस परीक्षा में हस्ताक्षर का कॉलम ही गायब था। उन्होंने कहा कि अगर कार्बन कॉपी के आधार पर सत्यापन नहीं होता तो किसी भी अभ्यर्थी की शीट बदली जा सकती है।

प्रिंटिंग फर्म की लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई
विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने कहा कि यह मात्र प्रिंटिंग की खामी थी, न कि कोई षड्यंत्र। उन्होंने बताया कि अभ्यर्थी और वीक्षक के हस्ताक्षर उपस्थिति पत्रक पर दर्ज किए गए हैं, जिसमें ओएमआर शीट नंबर और रोल नंबर भी अंकित होता है। इसलिए किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रिंटिंग फर्म की लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और पूरी परीक्षा प्रक्रिया की वीडियोग्राफी एवं सीसीटीवी रिकॉर्डिंग कराई गई है, ताकि कोई भी अनियमितता साबित की जा सके।

2200 संविदा पदों को भरने के लिए आयोजित
राज्यभर में यह परीक्षा जयपुर, अजमेर, भरतपुर, कोटा और उदयपुर में आयोजित की गई थी। परीक्षा में कुल 19543 पंजीकृत अभ्यर्थियों में से 12267 उपस्थित रहे, यानी 62.77% उपस्थिति दर्ज की गई। सबसे ज्यादा उपस्थिति कोटा (66.23%) में रही, जबकि सबसे कम अजमेर (44.92%) में। जयपुर में कुल 9070 अभ्यर्थी पंजीकृत थे, जिनमें से 5938 परीक्षा में शामिल हुए। गौरतलब है कि 9 परीक्षाएं कुल 2200 संविदा पदों को भरने के लिए आयोजित की गई थी। अब सवाल उठता है कि क्या इस तकनीकी खामी के बावजूद परीक्षा की प्रक्रिया वैध मानी जाएगी या अभ्यर्थियों की मांग और राजनीतिक दबाव के चलते पुनः परीक्षा करानी पड़ेगी? जहां एक ओर चयन बोर्ड इसे मामूली तकनीकी त्रुटि मान रहा है, वहीं सांसद बेनीवाल जैसे जनप्रतिनिधि इसे गंभीर सुरक्षा चूक मानते हुए पूरे चयन तंत्र पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अब देखना होगा कि सरकार और बोर्ड इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं।

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