500 रुपए के उधार से शुरू किया सफर, आज बनी करोड़ों की मालकिन! ये है वो महिला जिसने संघर्षों को बनाया अपनी ताकत
ये बात सही है कि व्यवसाय करना हर किसी के बस की बात नहीं, आइडिया अनोखे तो सबके पास होते हैं लेकिन सफल्ता के लिए अनोखा होना ही काफी नहीं है । बहुत ही साधारण से विचार भी जब पूरी लगन से हकीकत की जमीन पर लाए जाते हैं तो कामयाबी मिलनी तय होती है । ये कहानी एक ऐसी ही महिला की, जो मुठ्ठी भर उधार के रुपए लेकर गांव से निकली थी लेकिन कुछ कर दिखाने की ललक ने उन्हें उस मुकाम पर पहुंचा दिया जहां वो सैंकड़ो और हाथों को रोजगार देने में कामयाब रही हैं ।
कृष्णा यादव से मिलिए ?
ये कहानी है कृष्णा यादव की, एक आम सी महिला । उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली कृष्णा यादव और उनका परिवार साल 1995-96 के समय बहुत ही बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा था । पति मानसिक रूप से बीमार हो गए तो परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई । इस कठिन दौर में उन्होने दिल्ली का रुख किया, एक जानकारी से 500 रुपए उधार लिए और देश की राजधानी में कदम रखा । लेकिन अनजान शहर में काम मिलना इतना भी आसान नहीं था ।
मिली उम्मीद की किरण
काम की तलाश जब कहीं पूरी नहीं हुई तो मजबूरी में उन्होंने कमांडेट बीएस त्यागी के खानपुर स्थित रेवलाला गाँव के फार्म हाउस की देख रेख की नौकरी करनी शुरू कर दी । ये काम ही कृष्णा यादव के बिजनेस आइडिया की नींव बनी । इस फार्म हाउस में बेर और करौंदे के बाग लगाए गए थे, जिनकी उस दौरान बाज़ार में अच्छी कीमत मिलती थी । वैज्ञानिकों की सलाह पर कमांडेट त्यागी ने मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण तकनीक को समझा । फार्म हाउस में काम करते हुए कृष्णा को भी खेती से लगाव होता चला गया, साल 2001 में उसने कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा में खाद्य प्रसंस्करण तकनीक की 3 महीने की टेनिंग ली ।
इस ट्रेनिंग के बाद ही कृष्णा देवी ने अचार व्यवसाय में हाथ जमाने के बारे में सोचा और 3000 रुपये लगाकर 100 किलो करौंदे का अचार और पांच किलो मिर्च का अचार तैयार किया । अचार बेचकर मुनाफा भी कमाया । ये मुनाफा बड़ी सफलता तो नहीं रहा लेकिन आगे की राह तय करने के लिए काफी था । कृष्णा यादव को इसके बाद भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा । उनके पति ने भी उनका भरपूर साथ दिया । कृष्णा अपने घर पर सारा माल तैयार करने लगीं, करौंदा कैंडी एक नया उत्पाद था । कृष्णा के पति नजफगढ़ में सड़कों के किनारे ठेले लगा कर इसे बेचा करते ।