Ujjain: ‘महाकाल मंदिर की व्यवस्था मुझे सौंप देनी चाहिए’, महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी महाराज का फिर विवादित बयान

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महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी ने कहा, ‘अगर मुझे महाकाल मंदिर की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सौंप दी जाए तो मंदिर में दर्शन से लेकर तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाएंगी. सबकुछ बेहतर होगा. साथ ही हम सरकारीकरण से भी मुक्त कर देंगे.’

महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी महाराज(File Photo)

Premanand Puri Maharaj: महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं. प्रेमानंद पुरी महाराज का एक और विवादित बयान सामने आया है. प्रेमानंद पुरी ने कहा, ‘महाकाल मंदिर की व्यवस्था शासन-प्रशासन से लेकर महान निर्माणी अखाड़े को दे देना चाहिए, या फिर मुझे महाकाल की व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंप दें.’

‘सरकारीकरण को मुक्त कर देंगे’

महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी ने आगे कहा, ‘अगर मुझे महाकाल मंदिर की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सौंप दी जाए तो मंदिर में दर्शन से लेकर तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाएंगी. सबकुछ बेहतर होगा. साथ ही हम सरकारीकरण से भी मुक्त कर देंगे.’

प्रेमानंद पूरी ने दावा किया कि मंदिर पहले महानिर्वाणी अखाड़े का था और मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर इसकी मांग की है. महाकाल मंदिर से सरकारी नियंत्रण हटाकर इसे महानिर्वाणी अखाड़े को सौंप देना चाहिए. देश के अधिकतर मंदिरों पर सरकार ने अधिग्रहण कर लिया है.

प्रेमानंद पुरी पर भड़के मंदिर के पुजारी

वहीं महाकाल मंदिर को लेकर दिए बयान पर मंदिर के पुजारी महेश शर्मा प्रेमानंदपुरी पर भड़क गए और उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. महेश शर्मा ने कहा, ‘महामंडलेश्वर पहले अपने अखाड़े की ‘गंदगी’ साफ करें, जहां शादीशुदा संत बैठे हैं. मंदिर की व्यवस्था प्रशासन 40 सालों से अच्छी तरीके से संभाल रहा है. मंदिर का अधिकार 16 पुजारियों को मिलना चाहिए, किसी अखाड़े को नहीं.’

महाकाल मंदिर पर नियंत्रण को लेकर संत समाज और पुजारियों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है.

मंदिरों के अधिग्रहण पर पहले भी जताई थी नाराजगी

महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी महाराज ने इसके पहले भी महाकाल मंदिर के सरकारी अधिग्रहण को लेकर बयान दिया था. उन्होंने कहा कि पहले महाकाल मंदिर महानिर्वाणी अखाड़े के नियंत्रण में था और अब सरकार ने अधिग्रहण कर लिया है. उन्होंने मांग कहा था ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करें और उन्हें फिर से अखाड़ों के हवाले करें.’

उन्होंने यह दावा भी किया था कि ‘तेलंगाना में कुछ स्थानों पर मंदिरों के धन से कसाई खाने तक की सुविधाएं संचालित की जा रही हैं. जब तक मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं, वहां हिंदू कार्ड प्रणाली लागू की जाए और बिना हिंदू कार्ड के किसी को प्रवेश न दिया जाए.’

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