UP Samvida Shiksha Mitra: शिक्षामित्रों ने की मानदेय बढ़ाने की मांग, कहा आर्थिक स्थिति बदतर, कम से कम 40 हजार हो मानदेय

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हाइलाइट्स

  • शिक्षामित्रों ने की मानदेय बढ़ाने की मांग
  • कम से कम 40 हजार हो मानदेय
  • शिक्षामित्रों के लिए 62 साल की बनाई जाए नियमावली

UP Samvida Shiksha Mitra Honorarium: उत्तर प्रदेश में संविदा कर्मचारियों के बाद शिक्षामित्रों ने अपने मानदेय को बढ़ाने को लेकर सरकार के खिलाफ़ अपनी आवाज को बुलंद कर लिया है और लगातार कई सालों से सरकार के सामने अपनी बात को रखते आ रहे हैं। शिक्षामित्रों की मांग है उनके मानदेय में बढ़ोतरी की जाए। इसको लेकर शिक्षामित्रों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने का समय मांगा है। इसके साथ ही शिक्षामित्रों की मूल विद्यालय में वापसी की भी प्रक्रिया की शुरूआत नहीं हुई है।

2 लाख से अधिक शिक्षामित्रों का मानदेय कई सालों लंबित

जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत करीब 2 लाख से अधिक शिक्षामित्रों का मानदेय कई सालों लंबित है, जिसमें न के बराबर बढ़ोतरी हुई है। अभी फिलहाल में शिक्षामित्रों का मानदेय 10,000 है चाहे वो शहरी क्षेत्र में हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र का हो। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि शिक्षामित्र 10 हजार में अपने परिवार का भरण कैसे करेगा। कई बार शिक्षामित्रों ने सरकार और अधिकारियों को आवेदन दिया है मगर सरकार की तरफ से किसी प्रकार का कोई पॉजिटिव आश्वासन नहीं मिला है।

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कम से 40 हजार होना चाहिए मानदेय 

इस पूरे मामले पर शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री उमेश पांडे ने जानकारी देकर बताया कि हमने कई बार सीएम योगी, समेत डीप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तक से मुलाकात की है पर उनके तरफ़ से कोई सकारात्मक रूझान नहीं मिला है। उमेश पांडे एक प्रकार का संगठन चलाते हैं जो कि शिक्षामित्रों के लिए काम करती है (आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर) उनकी मांग है कि शिक्षामित्रों के लिए अलग से नियमावली बनाई जाए जो कि 62 साल की एक अलग से नियमावली हो, और जो वर्तमान में जो शिक्षामित्रों के मानदेय को 10, हजार से बढ़ाकर 40,हजार किया जाए।

मिलने का समय दें सीएम- संघ

संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने बताया कि अब ज्यादा दिनों तक इस मामले को ना खींचा जाए, क्योंकि दिन पर दिन शिक्षामित्रों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है, किसी प्रकार से कोई भी सकारात्मक रूझान देखने को नहीं मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि हमारे संगठन के पदाधिकारियों को मिलने के लिए समय प्रदान करें और हमारे मानदेय में वृद्धि के साथ-साथ आयुष्मान कार्ड का लाभ दिलाने के लिए जल्द से जल्द निर्देश जारी करें, ताकि हम शिक्षामित्र अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकें।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि नवम्बर 2005 में सरकार बनने के बाद से ही हमलोग शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार काम कर रहे हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें

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