वाराणसी: विश्वकर्मा जयंती और PM मोदी का जन्मदिन – सृजनशीलता और राष्ट्रनिर्माण का महोत्सव

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वाराणसी। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारीलाल शर्मा ने भगवान विश्वकर्मा जयंती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के अवसर को सृजनशीलता, नवाचार और राष्ट्रनिर्माण का महोत्सव बताया। उन्होंने कहा कि यह संयोग अत्यंत प्रेरणादायक है, क्योंकि दोनों ही अवसर 17 सितंबर को मनाए जाते हैं और देश के सामूहिक विकास की दिशा में प्रेरणा प्रदान करते हैं।

प्रो. शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान विश्वकर्मा, जो सृष्टि के रचयिता और देवताओं के शिल्पी हैं, हमें अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता, गुणवत्ता और नवाचार की प्रेरणा देते हैं। शास्त्रों में विश्वकर्मा को चमत्कारिक उपकरणों और वास्तुकला के निर्माणकर्ता के रूप में वर्णित किया गया है। इस पावन दिन पर औजारों, मशीनों और तकनीकी उपकरणों की पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे कार्य सुगम और प्रभावी बनते हैं।

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कुलपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की प्रगति को रेखांकित करते हुए कहा कि “डिजिटल इंडिया”, “स्वच्छ भारत अभियान” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे कार्यक्रमों ने भारत को वैश्विक मंच पर गौरव दिलाया है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण सृजनशीलता और विकास को प्रोत्साहित करता है। हमें अपने कौशल और प्रतिभा का उपयोग कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए।”

विश्वकर्मा योजना पर विशेष जोर

प्रो. शर्मा ने प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई विश्वकर्मा योजना की सराहना की। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत परंपरागत कारीगरों और शिल्पकारों को 15,000 रुपये का टूलकिट और 500 रुपये प्रतिदिन का स्टाइपेंड प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे अपने व्यवसाय को सशक्त बनाकर आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने कहा, “यह योजना कारीगरों और शिल्पकारों के सृजनात्मक प्रयासों का सम्मान है, जो देश की आत्मनिर्भरता और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।”

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राष्ट्र निर्माण में सामूहिक प्रयासों की अपील

कुलपति ने विश्वविद्यालय परिवार, संस्कृत समाज और सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे विश्वकर्मा पूजन और प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर अपने कार्यक्षेत्र में गुणवत्ता, दक्षता और नवाचार के साथ प्रयास करें। उन्होंने कहा कि राष्ट्र का विकास प्रत्येक नागरिक के सामूहिक प्रयासों पर निर्भर है, और सभी को अपने कर्तव्यों का निर्वहन निष्ठा और समर्पण से करना चाहिए।

परंपरा और आधुनिकता का संगम

प्रो. शर्मा ने कहा कि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इस दिशा में सतत प्रयासरत है कि नई पीढ़ी परंपराओं से गहराई से जुड़े और आधुनिक युग की तकनीकों से सुसज्जित होकर देश की सेवा करे। यह अवसर धार्मिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से विशेष होने के साथ-साथ सृजनशीलता, कौशल विकास और नवाचार को बढ़ावा देने वाला प्रेरक संदेश भी देता है।








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