Hathras : हाथरस में गौशाला की बदहाल स्थिति पर भड़के गौसेवक, प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतरे ग्रामीण

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उत्तर प्रदेश के मांधाति नगला गांव स्थित गौशाला की दुर्दशा ने स्थानीय लोगों और गौसेवकों को इतना आक्रोशित कर दिया कि रविवार को वे सड़कों पर उतर आए। गांव के दर्जनों गौसेवकों और ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और धरना-प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का मुख्य कारण गौशाला में व्याप्त अव्यवस्था और गौवंश के प्रति प्रशासन की उदासीनता रहा। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह आंदोलन बड़े स्तर पर किया जाएगा।

प्रदर्शन के दौरान गौसेवकों ने बताया कि गौशाला में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। पानी पीने के लिए बनाए गए नाद (जल पात्र) टूट चुके हैं, जिससे गौवंश को पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है। वहीं, गौशाला में लगे नल कई हफ्तों से खराब पड़े हैं, जिनकी मरम्मत के लिए कई बार विभागीय अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। गर्मी और उमस के मौसम में यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, जिससे गौवंश को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है।

चारे की उपलब्धता भी एक बड़ी समस्या बन गई है। गौशाला में चारे की कोई नियमित व्यवस्था नहीं है, जिससे पशु भूखे रहने को मजबूर हैं। कई बार गौसेवकों ने स्वयं अपनी ओर से चारा डालकर गायों की भूख मिटाई है, लेकिन यह कोई स्थायी समाधान नहीं है। उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन गायों के संरक्षण के नाम पर योजनाएं तो चला रहे हैं, लेकिन धरातल पर उनकी कोई प्रभावी निगरानी नहीं हो रही है।

प्रदर्शन में शामिल गौसेवकों ने प्रशासन के सामने तीन प्रमुख मांगें रखीं—गौशाला में तत्काल चारा और पानी की समुचित व्यवस्था की जाए, लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए और गौसेवकों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए उनका स्थायी समाधान निकाला जाए।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि गौशाला केवल कागजों में संचालित हो रही है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि वहां न कोई देखरेख है, न कोई जवाबदेही। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि उच्चाधिकारियों की टीम भेजकर मौके का मुआयना कराया जाए और आवश्यक सुधार तत्काल प्रभाव से किए जाएं।

ग्रामीणों ने इस आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि यह केवल गौवंश की बात नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति, संवेदना और धार्मिक आस्था का विषय है। यदि प्रशासन ने अब भी इस ओर ध्यान नहीं दिया तो गांववासी सड़कों पर उतरकर और बड़ा प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।

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