कब मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा पर्व …? जानें शुभमुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व
गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है. जो ज्ञान शिक्षण और मार्गदर्शन के प्रतीक गुरु को समर्पित होता है. इसे पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है.
Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है. जो ज्ञान शिक्षण और मार्गदर्शन के प्रतीक गुरु को समर्पित होता है. इसे पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. यह पर्व हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेना बहुत शुभ माना जाता है. यह दिन गुरु शिष्य परंपरा को सम्मान देने और अपने जीवन में गुरु के योगदान को याद करने का उत्तम अवसर होता है.
इस दिन को महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों को लिखा, महाभारत की रचना की और हिन्दू धर्म की अनेक धार्मिक रचनाएँ की. हमारे जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है. प्राचीन काल से ही भारत में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है.
“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”
यह एक प्रसिद्ध गुरु मंत्र है. जिसमे गुरु की महिमा का वर्णन किया गया है.
आज हम यहां जानेंगे गुरु पूर्णिमा पर्व कब मनाया जाएगा… ? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में विस्तार से……
गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाएगी
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई (गुरुवार)को मनाई जाएगी. पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई को रात 1 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी और यह 11 जुलाई को रात 2 बजकर 06 मिनट पर खत्म होगी.हिंदू परंपरा में पर्व उसी दिन मनाया जाता है, जब तिथि सूर्योदय के समय हो .ऐसे में गुरु गुरु पूर्णिमा 2025 , 10 जुलाई को मनाई जाएगी.
पूर्णिमा 2025 के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:10 से 4:50 बजे तक रहेगा
अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:59 से दोपहर 12:54 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 12:45 से 3:40 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: सायं 7:21 से 7:41 बजे तक
गुरु पूर्णिमा पर्व क्यों मनाया जाता है?
पौराणिक मान्यताओं में बताया गया है कि लगभग 3000 ई. पूर्व, आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को वेद व्यास जी का जन्म हुआ था. इसलिए हर साल इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं. यह दिन वेद व्यास जी को समर्पित है. माना जाता है कि इसी दिन उन्होंने भागवत पुराण का ज्ञान दिया था.गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं.
साथ ही पूर्णिमा का दिन होने की वजह से इस दिन विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन गुरुओं का सम्मान किया जाता है और साथ ही उन्हें गुरु दक्षिणा भी दी जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन गुरु और बड़ों का सम्मान करना चाहिए. जीवन में मार्गदर्शन के लिए उनका आभार व्यक्त करना चाहिए, गुरु पूर्णिमा पर व्रत, दान और पूजा का भी महत्व है.व्रत रखने और दान करने से ज्ञान मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
गुरु पूर्णिमा की पूजा-विधि
सबसे पहले प्रातःकाल उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें.
अपने गुरुदेव की तस्वीर या मूर्ति को घर के पूजा स्थान पर रखें.
इसके बाद दीपक जलाएं, फूल, फल और नैवेद्य अर्पित करें.
“ॐ गुरुभ्यो नमः” या अपने गुरु द्वारा दिया गया मंत्र का ध्यानपूर्वक जप करें.
गुरु पूर्णिमा के दिन समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए विष्णु-लक्ष्मी जी की पूजा जरूर करें.
रात के समय चंद्रमा को देखकर उनका पूजन करें.