मानसून में क्यों बढ़ जाती है साइनस की दिक्कत? कैसे करें कंट्रोल, डॉक्टर से समझें
मानसून का मौसम ठंडी हवाओं, हरियाली और बारिश की ताजगी लेकर आता है, लेकिन इसी के साथ कई स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ जाती हैं. इन समस्याओं में से एक आम परेशानी है साइनस की दिक्कत. बहुत से लोग मानसून के दौरान लगातार सिरदर्द, नाक बंद रहना, गले में खराश और आंखों के पास भारीपन जैसी शिकायतें करते हैं. ये लक्षण अक्सर साइनस इंफेक्शन या साइनोसाइटिस की ओर इशारा करते हैं. डॉक्टरों के अनुसार, बारिश के मौसम में नमी, एलर्जी और संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, जिससे यह समस्या बढ़ जाती है.
साइनस हमारे चेहरे की हड्डियों में मौजूद कुछ खोखले (hollow) खाली जगहें होती हैं, जो नाक के आसपास चार जगहों पर होती हैं माथे में, गालों के अंदर, नाक के दोनों ओर और आंखों के पीछे. इन साइनस का मुख्य काम शरीर में हवा का प्रवाह बनाए रखना, सिर को हल्का रखना और आवाज को गूंज प्रदान करना होता है. ये सभी साइनस एक पतली झिल्ली से ढके होते हैं जो म्यूकस (कफ) बनाती है, जिससे धूल, बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक कण नाक के अंदर न जा सकें.
जब किसी कारण से ये साइनस ब्लॉक हो जाते हैं या इनमें सूजन आ जाती है, तो म्यूकस जमा होने लगता है. यही स्थिति साइनसाइटिस या साइनस इंफेक्शन कहलाती है. इसमें व्यक्ति को सिरदर्द, नाक बंद होना, चेहरे पर भारीपन, नाक से बहाव, आंखों के पास दबाव और गले में जलन जैसी समस्याएं होने लगती हैं. अब समझते हैं कि वो कौन से कारक है जिनके कारण साइनस की दिक्कत होने लगती है-
नमी और बैक्टीरिया का बढ़ना
मानसून में वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण की संभावना अधिक हो जाती है. जब ये बैक्टीरिया और फंगस नाक के रास्ते साइनस कैविटी में पहुंचते हैं, तो वहां सूजन और जाम की स्थिति पैदा हो जाती है. यही कारण है कि मानसून के मौसम में लोगों को नाक बहना, बंद रहना और भारी सिरदर्द जैसे लक्षण ज्यादा परेशान करते हैं.
एलर्जी की संभावना बढ़ जाती है
इसके अलावा इस मौसम में एलर्जी की समस्या भी बढ़ जाती है. बारिश के कारण मिट्टी, पत्तियों और वातावरण में मौजूद परागकण (pollen), फंगस और धूल हवा में फैल जाते हैं. जिन लोगों को एलर्जिक राइनाइटिस या एलर्जी संबंधी दिक्कतें होती हैं, उन्हें मानसून में ज्यादा परेशानी होती है. इन एलर्जी के कारण साइनस कैविटी में सूजन आ सकती है, जिससे नाक जाम हो जाती है और साइनस प्रेशर बढ़ जाता है.
बार-बार सर्दी-जुकाम होना
एक और कारण है बार-बार सर्दी-जुकाम होना. मानसून में तापमान में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है. कभी बहुत ठंडक होती है, तो कभी उमस भरी गर्मी. ऐसे बदलावों से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है और लोग जल्दी सर्दी-जुकाम की चपेट में आ जाते हैं. यदि जुकाम लंबे समय तक ठीक न हो, तो यह धीरे-धीरे साइनस इंफेक्शन में बदल सकता है.
वेंटिलेशन की कमी
वहीं, मानसून में वेंटिलेशन की कमी भी साइनस की दिक्कत को बढ़ा सकती है. इस मौसम में लोग दरवाजे और खिड़कियां बंद रखते हैं ताकि नमी और मच्छर अंदर न आएं. लेकिन इससे घर के अंदर हवा का सही प्रवाह नहीं हो पाता और वातावरण में मौजूद एलर्जन और बैक्टीरिया लगातार शरीर पर असर डालते हैं. इससे साइनस के लक्षण और बिगड़ सकते हैं.
डॉक्टर क्या सलाह देते हैं?
डॉक्टरों की सलाह है कि मानसून के दौरान नाक और गले की सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए. भाप लेना, गुनगुने नमक वाले पानी से गरारे करना और ज्यादा से ज्यादा पानी पीना शरीर को हाइड्रेटेड रखने के साथ-साथ संक्रमण से बचाव में भी मदद करता है. अगर तीन दिन से ज्यादा साइनस के लक्षण बने रहें तो जांच कराएं.