अमेरिका में नई पार्टी बनाना क्यों है मुश्किल? जानें भारत से कितना अलग है नियम
चुनाव आयोग के पास 100 से ज़्यादा रिजर्व चुनाव चिह्न हैं. आप अपनी पसंद का कोई भी चिह्न चुन सकते हैं, बशर्ते वह किसी दूसरी पार्टी को पहले से न मिला हो. एक बात का ध्यान रखें, अब पशु-पक्षियों या जानवरों से जुड़े चिह्न नहीं दिए जाते. अगर आपकी पार्टी रजिस्टर हो जाती है, तो आपको एक यूनीक कोड और आपका अपना चुनाव चिह्न मिलता है.
US Party Formation Rules: सोशल मीडिया पर हमेशा छाए रहने वाले दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने अब राजनीति में कदम रख दिया है. जी हां, यह कोई अफवाह नहीं बल्कि अब पुख्ता खबर है कि मस्क ने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी ‘अमेरिका पार्टी’ बना ली है. इस खबर ने अमेरिकी सियासत में तहलका मचा दिया है और हर कोई हैरान है कि आखिर दुनिया के सबसे बड़े बिजनेसमैन का अगला कदम क्या होगा? क्या मस्क अब व्हाइट हाउस की दौड़ में शामिल होंगे?
हालांकि, इन सवालों के बीच एक और सवाल है जो लोगों के जेहन में है. दरअसल, सवाल ये है कि एलन मस्क जैसा कोई व्यक्ति भारत या अमेरिका में अपनी राजनीतिक पार्टी बनाना चाहे, तो उसे किन नियमों और प्रक्रियाओं से गुज़रना होगा? वहां क्या नियम कायदे हैं?
अमेरिका में अपनी पार्टी बनाना थोड़ा मुश्किल
अमेरिका में भी कोई भी व्यक्ति या समूह अपनी राजनीतिक पार्टी बना सकता है, क्योंकि वहां का संविधान इसकी पूरी आज़ादी देता है. पर यहां भारत जैसा कोई एक ‘वन-स्टॉप शॉप’ नहीं है. इसके बजाय, हर राज्य के नियम थोड़े अलग हैं और पूरी प्रक्रिया मुख्य रूप से चुनावों में हिस्सा लेने के लिए बनाई गई है.
पार्टी का गठन और नाम
अमेरिका में पार्टी बनाने के लिए कोई लंबा-चौड़ा औपचारिक रजिस्ट्रेशन नहीं होता. आप बस एक ग्रुप बनाइए, उसे एक नाम दीजिए और एक छोटा सा संगठनात्मक ढांचा बनाकर शुरू कर सकते हैं. लेकिन अगर आपकी पार्टी को चुनाव लड़ना है, तो आपको हर राज्य के ‘सेक्रेटरी ऑफ स्टेट’ के नियमों का पालन करना होगा. हर राज्य की अपनी कहानी है.
चुनाव में हिस्सा लेने की प्रक्रिया
अमेरिका के ज़्यादातर राज्यों में नई पार्टी को चुनावी मतपत्र पर जगह पाने के लिए एक निश्चित संख्या में वोटरों के हस्ताक्षर जमा करने पड़ते हैं. जैसे, कैलिफ़ोर्निया में क़रीब 75,000 हस्ताक्षर चाहिए होते हैं. ये संख्या हर राज्य में अलग होती है.
आपको अपनी पार्टी को राज्य के ‘सेक्रेटरी ऑफ स्टेट’ के पास रजिस्टर करना होगा. इसके लिए एक फ़ॉर्म भरना पड़ता है, जिसमें पार्टी का नाम, उद्देश्य और संपर्क जानकारी देनी होती है. कुछ राज्यों में मामूली शुल्क देना पड़ सकता है, जो भारत के 10,000 रुपये से बहुत कम होता है. ये बस एक टोकन फ़ीस है.
सबसे जरूरी बात, अमेरिका में नई पार्टी के लिए चुनावी मतपत्र (बैलट) पर अपना नाम लाना सबसे मुश्किल काम है. इसके लिए या तो कुछ राज्यों में पिछले चुनाव में एक निश्चित प्रतिशत वोट (जैसे 5%) हासिल करना होता है, या फिर ढेर सारे हस्ताक्षर जुटाने होते हैं. उदाहरण के लिए, अगर मस्क की पार्टी टेक्सास में बैलट एक्सेस चाहती, तो उन्हें 80,000 से ज़्यादा हस्ताक्षर जमा करने पड़ेंगे.
दो बड़ी पार्टियों का दबदबा!
अमेरिका में दो बड़ी पार्टियां, डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पूरी तरह से छाई हुई हैं. ‘थर्ड पार्टीज़’ या लिबरटेरियन पार्टी आमतौर पर छोटे स्तर पर शुरू होती हैं और धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने की कोशिश करती हैं. राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता पाना बेहद मुश्किल और महंगा है, क्योंकि इसके लिए आपको सभी 50 राज्यों में बैलट एक्सेस हासिल करना होगा.
फायदे और चुनौतियां
पार्टी बनाना आसान है और आप चंदा इकट्ठा कर सकते हैं. ‘फेडरल इलेक्शन कमीशन’ (FEC) चंदे और खर्चों पर नज़र रखता है. अमेरिका में दो-पार्टी सिस्टम इतना मज़बूत है कि नई पार्टियों को सफलता मिलना बहुत मुश्किल होता है. एलन मस्क जैसे बड़े नाम और दौलत के बावजूद, उनकी पार्टी को मतदाताओं का भरोसा जीतने और इन दो बड़ी पार्टियों को टक्कर देने में सालों लग सकते हैं.
अमेरिका में कोई भी पार्टी बना सकता है, लेकिन ज़्यादातर छोटी पार्टियां राष्ट्रीय स्तर पर कोई ख़ास असर नहीं डाल पातीं. फिर भी, कुछ पार्टियां जैसे लिबरटेरियन पार्टी ने स्थानीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है.
भारत में अपनी पार्टी बनाना ज्यादा आसान
भारत में हर नागरिक को अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने का पूरा अधिकार है. ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है, पर कुछ ख़ास क़दम उठाने पड़ते हैं. ये सब लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत होता है और इसकी निगरानी का काम भारत निर्वाचन आयोग (ECI) करता है. चलिए, इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं.
पार्टी का नाम और संविधान
सबसे पहले, अपनी पार्टी के लिए एक एकदम यूनीक नाम चुनिए. ऐसा नाम जो पहले से किसी और पार्टी के पास न हो. इसके बाद, आपको पार्टी का एक संविधान बनाना होगा. ये आपकी पार्टी की रीढ़ की हड्डी है. इसमें साफ़-साफ़ लिखा होना चाहिए कि आपकी पार्टी का मक़सद क्या है? पार्टी का ढांचा कैसा होगा, यानी कौन अध्यक्ष बनेगा, कौन सचिव, कैसे चुने जाएंगे और आपकी पार्टी काम कैसे करेगी? इस संविधान की कॉपी पर पार्टी के संस्थापक सदस्यों के हस्ताक्षर और मुहर लगाना ज़रूरी है.
चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन
- चुनाव आयोग की वेबसाइट (hindi.eci.gov.in) पर जाइए और फ़ॉर्म A डाउनलोड करके उसे भर दीजिए. ये आपका पहला ऑफ़िशियल स्टेप है.
- आपको पार्टी के संविधान की एक कॉपी, सभी संस्थापक सदस्यों की पूरी जानकारी और अगर आपकी पार्टी का कोई बैंक खाता है, तो उसका भी विवरण देना होगा.
- इसके बाद आपको 10,000 हजार रुपये का एक डिमांड ड्राफ़्ट (DD) जमा करना होगा. ये एक छोटी सी एंट्री फ़ीस समझ लीजिए.
- एक क़ानूनी शपथ पत्र भी देना होगा कि आपकी पार्टी का कोई भी सदस्य पहले से किसी और रजिस्टर्ड पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं है.
चुनाव चिह्न का आवंटन
चुनाव आयोग के पास 100 से ज़्यादा रिजर्व चुनाव चिह्न हैं. आप अपनी पसंद का कोई भी चिह्न चुन सकते हैं, बशर्ते वह किसी दूसरी पार्टी को पहले से न मिला हो. एक बात का ध्यान रखें, अब पशु-पक्षियों या जानवरों से जुड़े चिह्न नहीं दिए जाते. अगर आपकी पार्टी रजिस्टर हो जाती है, तो आपको एक यूनीक कोड और आपका अपना चुनाव चिह्न मिलता है.
राष्ट्रीय या राज्य पार्टी का दर्जा
रजिस्टर होने के बाद आपकी पार्टी को ‘गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी’ माना जाता है. ये तो बस शुरुआत है. असली मज़ा तब आता है जब आप राष्ट्रीय या राज्य पार्टी का दर्जा पाते हैं. इसके लिए आपको चुनावों में ज़बरदस्त प्रदर्शन करना होगा. भारत में किसी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी या राज्य पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए संख्या-आधारित नियम हैं. एक पार्टी राष्ट्रीय पार्टी तब बनती है जब वह या तो कम से कम चार अलग-अलग राज्यों में ‘राज्य पार्टी’ का दर्जा हासिल कर ले, या लोकसभा चुनाव में कुल सीटों का 2% (करीब 11 सीटें) चार अलग-अलग राज्यों से जीत ले, या फिर चार राज्यों में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 6% वोट के साथ 4 लोकसभा सीटें जीते.
वहीं, किसी राज्य में राज्य पार्टी बनने के लिए उसे उस राज्य में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 6% वोट और कम से कम 1 लोकसभा सीट या 2 विधानसभा सीटें जीतनी होती हैं.
पावर के साथ आती है जिम्मेदारी!
एक रजिस्टर्ड पार्टी आसानी से चंदा ले सकती है, और सबसे अच्छी बात ये है कि इस चंदे पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता. चंदा देने वाले को भी 100% टैक्स छूट मिलती है. राष्ट्रीय पार्टी को तो और भी फ़ायदे मिलते हैं, जैसे मुफ्त में टीवी और रेडियो पर प्रचार का समय और सरकारी ज़मीन पर दफ़्तर बनाने की सुविधा.
लेकिन, इन फ़ायदों के साथ आती है बड़ी ज़िम्मेदारी. आपको हर साल अपने खातों की ऑडिटेड रिपोर्ट और चंदे का पूरा हिसाब-किताब चुनाव आयोग को देना होगा. हिसाब-किताब में गड़बड़ी नहीं चलेगी. भारत में अभी 6 राष्ट्रीय पार्टियां, 58 राज्य पार्टियां और क़रीब 2600 गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियां हैं. पर इनमें से ज़्यादातर छोटी पार्टियां तो चुनाव भी नहीं लड़तीं, बस कागज़ों पर मौजूद रहती हैं.
एलन मस्क की पार्टी का असर
एलन मस्क ने अब अपनी पार्टी बनाई है जो अमेरिका और दुनिया की राजनीति में एक बड़ा भूचाल ला दिया है. उनकी टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की छवि, साथ ही X जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर उनकी बेजोड़ पहुंच, उनकी पार्टी को एक अलग पहचान दे सकती है.
लेकिन भारत हो या अमेरिका, नई पार्टी को सफल होने के लिए कड़ी मेहनत, ज़बरदस्त संगठन और सबसे बढ़कर, मतदाताओं का भरोसा जीतना होता है. यह सिर्फ़ नाम या पैसे से नहीं आता, बल्कि विचारधारा, ज़मीनी काम और जनता से जुड़ाव से आता है.