आपकी गर्लफ्रेंड या किसी दोस्त ने कर दिया है रेप का झूठा केस, तो कैसे दिलाये सजा, पढ़ें इससे जुड़ें नियम और कानून
देश में रोजाना हत्या, डकैती और बलात्कार जैसी घटनाएं होती है. इन मामालों को थानों में केस दर्ज कराया जाता है.वही गंभीर मामले जैसे हत्या बलात्कार आदि में जब पुलिस अरोपी को गिरफ्तार करती है, तो काफी सख्ती से पेश आती है.और दोषी पाये जाने पर सजा दी जाती है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि अगर रेप जैसे गंभीर मामले में आरोप साबित नहीं हुआ तो फिर झूठा केस करने वालों का क्या होता है.
रेप का झूठा केस करने वाले हो जाए सावधान
दरअसल कई मामालों में ऐसा देखा जाता है कि किसी से दुश्मनी या वर्चसव को लेकर लोग रेप जैसी संगीन मामलों में किसी को भी केस दर्ज करवा देते है.उन्हें ऐसा लगता है कि बलात्कार के मामले में केवल पीड़ित पक्ष की ही सुनी जाएगी लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. कोर्ट में पूछताछ होती है.यदि जांच पडताल के बाद भी आरोपी दोषी नहीं पाया गया तो फिर झूठा केस करने वाले पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई का प्रवधान है.
कानून अरोपी के खिलाफ करता है सख्त कार्यवाही
आइए आपको बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति दुश्मनी की वजह से किसी निर्दोष को बलात्कार जैसी घटना में फंसाने की कोशिश करता है तो फिर उसको कितनी साल तक की सजा हो सकती है.या फिर भारतीय कानून सहिंता में किन किन धाराओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो सकती है.
पढ़े किन-किन धराओं पर हो सकती है सजा
आपको बताये कि अगर कोई जान-बूझकर किसी निर्दोष को रेप के झूठे केस में फंसाता है और ये बात कोर्ट में साबित हो जाती है तो भारत न्याय संहिता के तहत केस दर्ज किया जाता है. और फिर केस दर्ज करई जाती है.और यदि साजिश के तहत किसी को फ़साया गया है तो बीएनएस की धारा 316 ( 2)के तहत केस दर्ज किया जाता है.वही इसके साथ ही धारा 73 यानी झूठा आरोप लगाने का केस दर्ज किया जाता है.
कितने साल तक की हो सकती है सजा?
चलिए अब जान लेते है कि इसमे कितने साल तक सजा हो सकती है तो आपको बता दें कि अगर कोई झूठा केस दर्ज करता है और यह साबित हो जाता है तो तो धारा 73 यानि झूठी सूचना देने के आरोप में एक से तीन साल तक की सजा हो सकती है.वही इसके साथ आपको जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
कई मामलों में मुआवजा देने का भी है प्रावधान
वही अगर मामला गंभीर हो तो फिर धारा 226 के तहत 7 साल तक की सजा हो सकती है. साजिश रचने के खिलाफ धारा 316(2) के तहत 2 साल तक की सजा और जुर्माना भी लग सकता है.वही कई मामलो में कोर्ट की ओर से पीड़िता को मुआवज़ा देने के लिए भी कहा जाता है.